संजय सोनी की रिपोर्ट
अलीगढ़ । महानगर में लाउडस्पीकर से आने वाली आवाज के विरोध में बजरंग बल अलीगढ़ द्वारा किए जा रहे आंदोलन के चलते एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में आज बजरंग बल द्वारा आहूत महानगर स्तरीय बैठक से पूर्व महानगर बजरंग बल के प्रमुख पदाधिकारियों को अलीगढ़ पुलिस अधीक्षक नगर द्वारा वार्ता हेतु आमंत्रित किया, वार्ता के दौरान पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर प्रथम अशोक कुमार शर्मा तथा थाना प्रभारी सासनी गेट भी उपस्थित रहे ।
बैठक में लाउडस्पीकर से तेजी ध्वनि से आने वाली आवाज के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक नगर ने कहा कि उक्त सम्बन्ध में शासन द्वारा दिए निर्देशों का कठोरता से पालन कराया जाएगा तथा इस सम्बन्ध में शीघ्र प्रशासनिक स्तर पर थाना प्रभारियों की बैठक कर कार्ययोजना बनाई जाएगी। इस वार्ता के दौरान बजरंग बल के शेखर शर्मा संजय सिंह अजय सिंह व रितेश वर्मा उपस्थित रहे।
एक प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए बजरंगबल संयोजक गौरव शर्मा ने बताया कि विगत 29 नवंबर को बजरंग दल ने एक ज्ञापन के माध्यम से लाउडस्पीकर से होने वाली आवाज से होने वाली शांति भंग के मौलिक अधिकार की रक्षा का विषय उठाया था किंतु प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया तो बजरंग बल ने आंदोलन के अगले चरण की तैयारी के लिए बैठक का आयोजन भी किया था, जिसमें पुलिस प्रशासन के कार्यवाही आश्वासन करने के आश्वासन के फलस्वरुप आंदोलन को स्थगित करने का सर्व सम्मति निर्णय किया गया।
प्रेस वार्ता में बजरंग बल के संरक्षक अशोक चौधरी ने बताया कि विगत 14 दिसंबर को उनके प्रदर्शन माननीय मुख्यमंत्री को महानगर में अज़ान की तेज आवाज की लिखित शिकायत की थी, जिसकी जांच में पुलिस ने य़ह स्वीकार किया कि सासनी गेट थाना क्षेत्र में किसी मस्जिद पर कोई लाउडस्पीकर नहिं है और आवाज अन्य क्षेत्रों से आती है तो निश्चित आवाज की तीव्रता बहुत अधिक है और सहनीय नहीं है ।
उन्होंने आगे कहा कि शांति से जीवन जीना भारतीय संविधान प्रदत्त हमारा मौलिक अधिकार है और हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन का नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा आपने इस मौलिक अधिकार की रक्षा हेतु हम प्रथम हम प्रशासनिक कार्यवाही की प्रतीक्षा कर रहे हैं अन्यथा लोकतांत्रिक तरीके अन्य विकल्पों पर भी विचार होगा।
प्रशासनिक वार्ता के उपरांत बजरंगबल की महानगर स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए गौरव शर्मा ने कहा कि बजरंग बल ने सदैव संविधान के दायरे में रह कर सामाजिक समस्याओं के समाधान खोजने का प्रयास किया है और आज भी शांति से जीने के मौलिक अधिकार के लिए हम इसी आधार पर संघर्षरत हैं।
उन्होंने ने बैठक में बताया कि 2005 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि ऊंची आवाज यानी तेज शोरगुल सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है। हर शख्स को शांति से रहने का अधिकार है।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा था कि किसी को भी इतना शोर करने का अधिकार नहीं है कि पड़ोसियों और दूसरे लोगों को परेशानी हो। कोई भी शख्स लाउडस्पीकर बजाते हुए अनुच्छेद 19(1)ए के तहत मिले अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं को बताया कि 6 मई 2022 को माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका भी खारिज कर दी थी तथा निर्णय दिया था कि मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाना मौलिक अधिकार नहीं है।
इसी आधार पर उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने आदेशित किया था कि किसी भी धर्मिक परिसर से कोई आवाज बाहर नहीं आनी चाहिए और हमारी मांग योगी सरकार के इसी आदेश की अनुपालना सुनिश्चित कराना है।
इस अवसर पर रवि राठी, शेखर शर्मा, रितेश वर्मा, संजय सिंह, डॉक्टर बृजेश, देव राहुल, अजय आजाद, अजय सिंह, अजय गुप्ता, धनंजय शर्मा, गुलशन ठाकुर हर्ष वर्मा, केसु चौधरी, सुनील चौहान, रमाकांत, प्रमोद शर्मा, रोहित वार्ष्णेय, हिमांशु सविता, राहुल गोस्वामी, राजा बाबू, नीरज शर्मा, संदीप कुमार, सतीश मूर्ति, विशाल, जतिन वार्ष्णेय, कान्हा पंडित, प्रदीप कुमार, अमित भारद्वाज, मोनू पंडित, अमित शर्मा, गोपाल जी, अभिषेक जी, प्रमोद भारद्वाज, संदीप शर्मा, जीतू गुप्ता, हिमांशु, संजय गुप्ता, दीपक कुमार, आशु सक्सैना, सुनील शर्मा सैकड़ों पदाधिकारी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।