बच्चों को जन्म के 24 घंटे के अंदर दिया जाता है टीका प्रसव सरकारी अस्पताल में कराएं
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । शिशु जन्म के बाद माता-पिता के लिए सबसे जरूरी यह है कि उन्हें गंभीर बीमारियों और संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाएं। दिमागी बुखार और टीबी जैसी गंभीर समस्याएं शिशुओं में कम उम्र से ही हो सकती हैं। ये बीमारियां कई बार देखरेख और इलाज के अभाव में जानलेवा हो जाती हैं। यह कहना है जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रभात वर्मा का ।
डीआईओ ने बताया कि जन्म के बाद से ही बच्चे को कई तरह के टीके लगाए जाते हैं। शिशु के स्वास्थ्य और उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीन की डोज लेना बहुत जरूरी है। बच्चों को टीबी और दिमागी बुखार जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के लिए उन्हें बीसीजी वैक्सीन (BCG Vaccine) की खुराक जरूर दी जानी चाहिए। बीसीजी का टीका दुनिया के कई देशों में लगाया जाता है। यह टीका बच्चों को दिमागी बुखार और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने का काम करता है और उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
डीआईओ ने बताया कि जिन बच्चों का जन्म सरकारी अस्पताल में होता है उनको 24 घंटे के अंदर बीसीजी का टीका लगा दिया जाता है l
डीआईओ ने बताया कि बीसीजी एक तरह की वैक्सीन है जो मुख्य रूप से शिशुओं को टीबी और दिमागी बुखार से बचाने के लिए लगाई जाती है। बीसीजी वैक्सीन को बेसिल कालमेट ग्युरिन (Bacille Calmette-Guerin) के नाम से जाना जाता है।
डीआईओ ने बताया कि आमतौर पर शिशुओं को टीबी और दिमागी बुखार से बचाने के लिए बीसीजी का टीका जन्म के तुरंत बाद लगाने की सलाह दी जाती है। इस वैक्सीन की पहली डोज जन्म के 24 घंटे के भीतर लगाई जानी चाहिए। यह टीका 6 साल से कम उम्र वाले बच्चों को लगाया जा सकता है।
डीआईओ ने बताया कि जन्म के बाद अगर आप बच्चे को लेकर ऐसे देशों की यात्रा करते हैं । जहां पर टीबी का प्रकोप ज्यादा है तो ऐसे बच्चे को जरूर बीसीजी का टीका लगवाना चाहिए। ऐसे बच्चे जिनके घर में टीबी की बीमारी का इतिहास रहा है। उन्हें भी जन्म के बाद बीसीजी का टीका जरूर दिया जाना चाहिए। आमतौर पर बीसीजी का टीका जन्म के 6 महीने तक लगाना सही माना जाता है लेकिन अगर किसी कारण से यह टीका बच्चे को नहीं लग पाया है तो उसे 5 साल की उम्र तक यह टीका दिया जा सकता है। हालांकि इससे पहले आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शिबाशीष उपाध्याय ने बताया कि टीबी और दिमागी बुखार से बचाने के अलावा बीसीजी का टीका कैंसर जैसी घातक बीमारियों के खतरे को कम करने का काम करता है। बीसीजी टीके की डोज लेने के बाद शिशु के शरीर में दिमागी बुखार और टीबी से बचने के लिए प्रतिरक्षा तैयार होती है। इस टीके का डोज लेने के बाद शिशु के शरीर की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।
डॉ उपाध्याय ने बताया कि ऐसे बच्चे जिनमें जन्म से ही रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी समस्या है या जिनका वजन बेहद कम है । जिन बच्चों का वजन जन्म के समय 2000 ग्राम से कम हो।ऐसे बच्चे जिन्हें पहले या टीका देते समय टीबी की बीमारी है।
जन्म से रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी समस्या होने पर।एचआईवी से संक्रमित बच्चे को।ऐसे बच्चे जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ है।किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी के शिकार बच्चों को बीसीजी का टीका नहीं लगवाना चाहिए ।
डॉ उपाध्याय ने बताया कि बीसीजी वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे को उल्टी और पेट खराब होने की समस्या हो सकती है। बीसीजी वैक्सीन की डोज देने के बाद शिशुओं में ये साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं।
टीके लगाने की जगह पर रिएक्शन।
लसिका ग्रंथि पर सूजन।
बार-बार पेशाब आना।
पेशाब के दौरान दिक्कत होना।
स्किन पर रैशेज होना।
पेशाब करने पर दर्द होना।
सांस लेने में दिक्कत।
अगर शिशुओं में बीसीजी वैक्सीन लगाने के बाद ये लक्षण गंभीर रूप से दिख रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। आमतौर पर वैक्सीन लगवाने के बाद दिखने वाले लक्षण अपने आप खत्म हो जाते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 यानि 2015 16 के अनुसार ज़िले में 12 से 23 माह के 79.8 प्रतिशत बच्चों को ही बीसीजी टीके लगे थे तो वहीं एनएफएचएस 5 यानि 2019 21 के अनुसार 95.3 प्रतिशत बच्चों को बीसीजी का टीका लगा है यह कहीं न कहीं लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरुकता ही है ।
खडयाई निवासी ज्योति मिश्रा कहती हैं कि मेरा बेटा इस समय दो वर्ष का होने को है मैंने अपने बच्चे को सभी टीके लगवाए हैं । मेरा सभी से अनुरोध की अपने बच्चे को टीके जरुर लगवाएं । मोहल्ला खड़याई के रहने वाले कमलेश कहते हैं कि मेरी बेटी श्रृष्टि 2 बर्ष की हो चुकी है मैंने उसको सभी टीके लगवाए ।