ठाकुर धर्म सिह ब्रजवासी की रिपोर्ट
वृन्दावन। कैलाश नगर-सैक्टर 2 स्थित श्री हरि मन्दिर में कल्पतरु सेवा संस्थान ट्रस्ट के द्वारा प्रख्यात भागवताचार्य व ज्योतिषाचार्य धर्मरत्न स्वामी बलरामाचार्य महाराज के 31वें जन्मोत्सव पर संत-आशीर्वाद समारोह अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।महोत्सव का शुभारंभ ठाकुर श्रीराधा कृष्ण के विग्रह के समक्ष संतों-विद्वानों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज व चतु:सम्प्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज ने कहा कि स्वामी बलरामाचार्य महाराज विश्वभर में श्रीमद्भागवत के माध्यम से जो धर्म व अध्यात्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं,वो अद्भुत व प्रशंसनीय है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि धर्म रत्नस्वामी बलरामाचार्य महाराज ने बहुत ही अल्प आयु में श्रीमद्भागवत, रामायण, श्रीमद्भगवदगीता आदि धर्मग्रंथों का अध्ययन कर विश्वभर में उनका वाचन करके सनातन धर्म के उन्नयन व संरक्षण का कार्य किया है।हमारी ठाकुर बांके बिहारी महाराज से यह प्रार्थना है कि वह चिरायु हों और आजीवन धर्म के प्रति समर्पण भाव से कार्य करते रहें।
व्याकरणाचार्यों विष्णुदत्त त्रिपाठी व डॉ. रामकृपालु त्रिपाठी महाराज ने कहा कि स्वामी बलरामाचार्य महाराज के द्वारा संचालित कल्पतरु सेवा संस्थान ट्रस्ट के द्वारा श्रीधाम वृन्दावन के अलावा समूचे देश में जो सेवा प्रकल्प चलाए जा रहे हैं,उनसे निर्धन,निराश्रित, असहाय व दिव्यांग आदि तमगे के लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
पंडित बिहारीलाल शास्त्री व आचार्य रमेशचंद्र विधिशास्त्री ने कहा कि धर्मरत्न स्वामी बलरामाचार्य ने अपने आध्यात्मिक जीवन यात्रा में बहुत ही कम समय में जो सनातन धर्म की अविस्मरणीय सेवा की है,उससे न केवल श्रीधाम वृन्दावन अपितु सम्पूर्ण ब्रजमंडल गौरांवित हुआ है।
आशीर्वचन समारोह में महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज,आचार्य पीठाधीश्वर भागवत
भूषण स्वामी यदुनंदनाचार्य महाराज,आचार्य रामविलास चतुर्वेदी,आचार्य कृष्णा त्रिपाठी,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा भागवत भास्कर कृष्णचंद्र शास्त्री ठाकुरजी महाराज ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से धर्म रत्न स्वामी बलरामाचार्य महाराज को अपने आशीर्वचन दिए।साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना की। संचालन आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने किया।