अन्नू सोनी की रिपोर्ट
अलीगढ । द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन होने का समाचार मिलते ही हिन्दू समाज में शोक की लहर फैल गयी। उनके 99 वर्ष की पूर्ण आयु में गोलोक गमन के समाचार के बाद अलीगढ़ महानगर बजरंगबल की एक आपातकाल बैठक श्री महेश्वरी बाल मोंटेसरी स्कूल में विभाग संयोजक शेखर शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई ।
इस शोक सभा को संबोधित करते हुए बजरंगबल संयोजक गौरव शर्मा ने कहा कि परमपूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन से हिन्दू समाज ने एक साहसी पुरोधा खो दिया । हिन्दुओं के व्यापक हित में वह सदैव सक्रिय रहे आज ही दु समाज को उनकी बहुत आवश्यकता थी । बजरंगबल सदैव उनके आदर्शों पर काम करना रहेगा ।
पूज्य शंकराचार्य जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बजरंगबल के संरक्षक अशोक चौधरी ने बताया कि पूज्य शंकराचार्य ने आज मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले स्थित झोतेश्वर धाम में आखिरी सांस ली। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितम्बर 1924 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
उन्होंने बताया कि पूज्य शंकराचार्य हिंदू धर्म के चार पीठों के सबसे बड़े महंत होते हैं. जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे। नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।
1942 में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था और 19 साल की उम्र में वह ‘क्रांतिकारी साधु’ के रूप में प्रसिद्ध हुए, इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ और मध्य प्रदेश की जेल में छह महीने की सजा भी काटी । वे करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी रहे।
उन्होने बताया कि 1940 में वे दंडी संन्यासी बनाए गए और 1981 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली. 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे। वर्तमान परिस्थितियों में उनके क्रांतिकारी आदर्शों के अनुगमन करने की महती आवश्यकता है।
बैठक को शेखर शर्मा, कर्नल निशीथ सिंघल, रवि राठी संजय सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया । सभा के अंत में उनकी आत्मा की शांति हेतु मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना भी की गयी। बैठक में अन्य के अतिरिक्त अजय सिंह, रीतेश वर्मा ,अजय गुप्ता, मोनू पंडित , सतीश मूर्ति, केशव, सुनील, हर्ष सोनी, आशु सक्सेना, अमित शर्मा, राजा बाबू, अजय आजाद, शुभरांत, ऋतिक, प्रमोद, अमित ठाकुर, दीपक सक्सेना, धनंजय, डॉ. ब्रजेश, संजय सिंह, गोलूपंडित , कान्हा पंडित, नीरज पंडित, राहुल वार्ष्णेय, विशाल शर्मा, सजल, भोला ठाकुर, आचार्य. प्रशांत शर्मा, हिमांशु सविता, गोपाल सर, राहुल गोस्वामी आदि प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे।