उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ट्रैफिक नियमों के उलघ्घन में 10 लाख रूपये प्रतिदिन की कमाई प्रसाशन की होती है। अगर देखा जाये तो सड़क के ठेकेदार सड़क पर उतना ही कंक्रीट बिछाते है। क्युकी नीचे से ऊपर सभी को पैसा मिलता है। जो बात सौलह आने सत्य है। तो इस बात का ध्यान किसी की ओर क्यू नही जाता महानगर में ऐसे कई डिवाइडर टूटे भी पड़े है। और जो डिवाइडर है। उनका कोई सिंग्नल नही है। जिसमे मुख्य एटा चूँगी , रोडवेज बस स्टैंड , व अन्य भी जगह प्रमुख है। जिसकी वजह से आये दिन डिवाइडर पर कोई न कोई बड़ा वाहन चढ़ जाता है। जिसकी वजह से कई वाहन चालकों के नुकसान भी हुआ है। और मानिक चौक से डिवाइडर बनाने के नाम भी सड़क को खोदा गया है। और रामघाट रोड़ के फ्लाईओवर के ऊपर बना डिवाइडर जो अभी भी टुटा हुआ है। जिसमें सबसे ज्यादा खस्ता हालात छर्रा अड्डा पुल की हो रही है। एक बारिश भी ठीक से नही झेल पता और हो जाते है। हाथ भर के गड्ढे तो इस खबर से पता चला शहर में किन किन जगह अभी भी गड्ढे है। अंत में सबसे बड़ी बात ट्रैफिक के नाम पैसे से भी विकास नही हो रहा चालान तो रोज काटे जा रहे है। क्या यातायात पर भी उतना सुधार है।
अलीगढ़ से जिला
संवादाता गौरव वर्मा