अलीगढ़ शहर के अंदर जगह जगह पर पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि बंदरों की मृत्यु हो रही है लेकिन उन मृत्यु का कारण नहीं पता लग पा रहा है लेकिन ज्यादातर बंदरों की मृत्यु नशीले पदार्थ खाने से या फिर भूख से हो रही है। बेगम बाग के रहने वाले गौरव पंडित सुबह अपने घर से गाय व बंदरों को चारा एवं फल खिलाने जाते है आज उनकी निगाहें सुरेंद्र नगर स्थित पानी की टंकी से आगे केशव वाटिका के पास एक प्लॉट पर दो मृत्यु बंदरों पर पड़ी जो कि दोनों बंदर मृत्यु अवस्था में ही पढ़े थे और एक बंदर बेहोशी की अवस्था में मिला। गौरव पंडित के माध्यम से विशाल देशभक्त को सूचना मिली वह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए और देखा कि जो बंदर मृत्यु अवस्था में पड़े हैं वह पूरी तरह से नीले पड़ चुके हैं बंदरों की मृत्यु के बाद उनका नीला पड़ना पूरे शरीर को कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी 112 नंबर पर पुलिस को इसकी शिकायत की और वन विभाग की टीम को शिकायत की 1 से 2 घंटे बीत जाने के बाद वन विभाग की टीम का कोई पता नहीं फोन तो मिल गया था लेकिन 10 से 15 मिनट की कहकर उन्होंने 2 घंटे तक इंतजार कराया लेकिन वन विभाग की टीम जब नहीं आई तो स्वयं गौरव पंडित और विशाल देशभक्त हनी वार्ष्णेय प्रशांत सैनी, विशाल राघव, सनी सैनी, ने उन दोनों मृत्यु बंदरों को पानी की टंकी के पास अंतिम संस्कार कर दिया था एवं वन विभाग की शिकायत डीएम कंट्रोल रूम पर कर दी। पिछले कई बार से देखा जा रहा है कि वन विभाग पर शिकायत करने के बाद कुछ भी समस्या का समाधान नहीं होता है वन विभाग सोता हुआ नजर आ रहा है सारा कार्य हो जाने के बाद वन विभाग के 2 लोग आए और कुछ सामान भी हाथ नहीं लाए बेहोशी वाले बंदर को ना इंजेक्शन लगाया और ना ही कुछ किया केवल अपने साथ ले गए। विशाल देशभक्त ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के लोग जिस बेहोशी की हालात में बंदर को लेकर गए हैं वह उस बंदर को आगे कहीं जंगल में या पेड़ पौधे में डाल कर चले जाएंगे उसका इलाज नहीं करेंगे ऐसा ही होता आ रहा है। विशाल का कहना है कि माना कि लॉक डाउन चल रहा है लेकिन ऐसी स्थिति में भुखमरी से बचाने के लिए इन जानवरों के लिए भी वन विभाग को सक्रिय रहने की आवश्यकता है जो कि आवारा घूम रहे जानवरों एवं बंदरों के लिए दाना पानी का इंतजाम किया जा सके। मुख्य रूप से मौजूद गौरव पंडित, विशाल देशभक्त, प्रशांत सैनी, हनी वार्ष्णेय, विशाल राघव, सनी आदि मौजूद रहे।