विख्यात कवयित्री डॉ. अंजना सिंह सेंगर ने अंतरार्ष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर योग की आवश्यकता और उसके महत्व को अपने खुबसूरत लफ़्ज़ों में पिरोकर अलीगढ़ वासियों के लिए समर्पित किया है।
एक अर्थ है जोड़ना, दूजा होय समाधि।
करो निरंतर योग तो, दूर रहे हर व्याधि।।
परम चेतना तत्त्व से, जब तन-मन जुड़ जाय।
सही मायने योग तब, अतिशय सुख पहुँचाय।।
बैठे ही तुम नहिं रहो, करो नित्य व्यायाम।
जीवन जीने की कला, एक नया आयाम।।
जनक पतंजलि योग के, दिए सूत्र बतलाय।
उनके पथ पर जो चले, बेहतर सेहत पाय।।
अष्ट अंग हैं योग के, अपनाएँ जो लोग।
परम शक्ति की प्राप्ति के, पूरे करते योग।।
आसन, नियम, समाधि, यम, ध्यान व प्राणायाम ।
प्रत्यहार अरु धारणा, योगसूत्र आयाम।।
श्वांस और प्रश्वांस पर, करे नियंत्रण योग।
मन, शरीर अरु प्राण से, स्वस्थ रहें सब लोग।।
योग विधा प्राचीन है, ऋषियों का परसाद।
देह सुवासित हो सदा, दूर रहे अवसाद।।
जीव-जंतु सम संख्य में, आसन के हैं नाम।
पर चौरासी ही सदा, आते हैं नित काम।।
ऋषियों मुनियों ने किया, इसका सदा प्रचार।
रामदेव भी योग से, सेहत रहे सुधार ।।
विश्व योगमय कर दिया, मोदी जी ने आज।
भारत योगा गुरु बना, किया ये सुंदर काज।।
रोज़गार भी मिल रहे, बढ़ा योग का मान।
योग प्रशिक्षण से बढ़ा, भारत का सम्मान।।
महाशक्ति यह बन रहा, जुड़े विश्व के लोग।
योग सूत्र का नमो ने, अद्भुत किया प्रयोग।।
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर आप सभी को बेहतर स्वास्थ्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ