मुंबई। International Women’s Day 2019 दुनियाभर में आज (8 मार्च) को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। दूसरे क्षेत्रों की तरह फ़िल्म इंडस्ट्री के विकास में महिलाओं ने अहम भागीदारी निभायी है। उस दौर में भी, जब सिनेमा और इसमें काम करने वालों को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता था, महिलाओं ने बढ़चढकर भाग लिया और अपने योगदान से इसे वहां तक पहुंचाया, जहा यह आज वर्ल्ड सिनेमा को टक्कर दे रहा है।
सिनेमा के लगभग हर दशक में महिला फ़िल्मकारों ने अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज़ करवायी है। सिनेमा के सबसे अहम और मुश्किल समझे जाने वाले विभाग निर्देशन में भी महिला फ़िल्मकारों का अमूल्य योगदान रहा है। कई अदाकाराओं ने पहले पर्दे पर, फिर पर्दे के पीछे डायरेक्शन के ज़रिए फ़िल्मों को नये आयाम दिये। आज ज़ोया अख़्तर, मेघना गुलज़ार, शोनाली बोस, अलंकृता श्रीवास्तव, गौरी शिंदे, अश्विनी अय्यर तिवारी जैसी महिला निर्देशक इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाये हुए हैं, मगर क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई? भारतीय सिनेमा में किस महिला कलाकार ने सबसे पहले यह सोचा कि वो निर्देशन भी कर सकती हैं, कैप्टन ऑफ़ द शिप बन सकती हैं। इस लेख में उन्हीं की चर्चा।