अजय प्रताप चौहान की रिपोर्ट
कासगंज । ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अन्धता मुक्त करने के उद्देश्य से अमापुर ब्लाक की ग्राम पंचायत लखमीपुर द्वारा नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर के आयोजन में साईटसेवर्स इंडिया, एनोड संस्था और मिशन अस्पताल कासगंज द्वारा विशेष सहयोग प्रदान किया गया।
इस दौरान ग्रामीणों की आँखों की निशुल्क जांच करते हुए मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों की पहचान की गयी। शिविर में 85 ग्रामीणों द्वारा अपनी आँखों की जांच कराई गयी जिसमें से 19 लोगों में मोतियाबिंद की पहचान की गयी है। मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों को मिशन अस्पताल में निशुल्क सर्जरी कराने की सलाह दी गयी।
इस दौरान ग्राम प्रधान सुभाष बाबू, पंचायत सहायक, आंगनबाड़ी, गांव की महिलायें, पुरुष, मिशन अस्पताल के डॉक्टर और कार्यकर्ता आदि लोग उपस्थित रहे।
क्या है मोतियाबिंद ?
आँखों का प्राकृतिक लेंस जब क्लाउडी या धुंधला हो जाता है तो रोशनी आँखों के लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती जिस कारण धुंधला दिखाई डेता है। इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं। नजर धुंधली होने के कारण मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को पढ़ने, नजर का काम करने, कार चलाने (विशेषकर रात के समय) में समस्या आती है।
मोतियाबिंद के लक्षण-
अधिकतर मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरूआत में दृष्टि प्रभावित नहीं होती है, लेकिन समय के साथ यह आपकी देखने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसके कारण व्यक्ति को अपनी प्रतिदिन की सामान्य गतिविधियों को करना भी मुश्किल हो जाता है। मोतियाबिंद के प्रमुख लक्षणों में दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता, बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी, रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव क्योंकि लेंस एक फ़िल्टर की तरह काम करता है, रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना जैसे कि सामने से आती गाड़ी की हैडलाइट से आँखें चैंधियाना, दिन के समय आँखें चैंधियाना, दोहरी दृष्टि (डबल विज़न) एवं चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना आदि हैं।
मोतियाबिंद का उपचार
जब चश्मे या लेंस से आपको स्पष्ट दिखाई न दे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब मोतियाबिंद के कारण आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित होने लगती है। लेकिन अगर आपको डायबिटीज है तो इसमें देरी न करें।