जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर मनाया गया मधुमेह दिवस
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर सोमवार को मधुमेह दिवस मनाया गया इस दौरान लोगों के शुगर की जांच के साथ ही ब्लड प्रेशर की भी जांच की गई और शुगर से पीड़ित मरीजों को दवा और उचित परामर्श दिया गया । इसी क्रम में सिविल अस्पताल लिंजीगंज और सीएचसी कायमगंज में लोगों के शुगर की जांच कर दवा दी गई l अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और एनसीडी के नोडल डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह।
मधुमेह को धीमी मौत भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है। डॉ दलवीर ने बताया कि लगे शिविर में 670 लोगों की मधुमेह और बीपी की जांच की गई जिसमें से 96 रोगी मधुमेह के मिले l
सिविल अस्पताल लिंजीगंज में एनसीडी के डॉ ऋषी नाथ गुप्ता ने बताया कि जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
डॉ ऋषी ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक से होती है। जो व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से पचास गुना ज्यादा बढ़ जाता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से हार्मोनल बदलाव होता है और कोशिशएं क्षतिग्रस्त होती हैं जिससे खून की नलिकाएं और नसें दोनों प्रभावित होती हैं। इससे धमनी में रुकावट आ सकती है या हार्ट अटैक हो सकता है। स्ट्रोक का खतरा भी मधुमेह रोगी को बढ़ जाता है। डायबिटीज का लंबे समय तक इलाज न करने पर यह आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा भी हो सकता है।
डॉ ऋषि ने कहा कि 45 रोगियों की जांच की गई जिसमें से 11 रोगी शुगर के और 6 रोगी हाइपर टेंशन के मिले । सीएचसी कायमगंज में एनसीडी के डॉ नदीम का कहना है कि यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है । पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ नदीम ने बताया कि सीएचसी कायमगंज में127 रोगियों की जांच की गई जिसमें से 18 रोगी मधुमेह के 11 और रोगी हाइपरटेंशन से ग्रसित मिले ।
– मधुमेह के लक्षण
-ज्यादा प्यास लगना
-बार-बार पेशाब का आना
-आँखों की रौशनी कम होना
-कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना
-हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म
-बार-बर फोड़े-फुंसियां निकलना
-चक्कर आना
-चिड़चिड़ापन कोतवाली घुमना पर होमगार्ड के पद पर तैनात 50 वर्षीय शिवकुमार अग्निहोत्री ने बताया कि मुझे लगभग 3 माह से मधुमेह की शिकायत है जो प्रतिदिन घटती और बढ़ती है । नाश्ते के बाद जांच कराई तो 400 मिग्रा निकली तो डॉक्टर साहब ने मुझे प्रतिदिन व्यायाम और संतुलित भोजन करने की सलाह दी और दवा दी । नरकसा के रहने वाले 45 वर्षीय प्रवीण कुमार ने बताया कि मैंने पहली बार अपनी जांच कराई तो मुझे 239 मिग्रा शुगर लेवल निकला । यह देखकर मैं हैरान रह गया डॉक्टर साहब ने नियमित व्यायाम संतुलित भोजन करने की सलाह दी । इस दौरान लैब टेक्नीशियन अंकित दीक्षित, एनसीडी काउंसलर अनीता, स्टॉफ नर्स ज्योत्सना और अन्य लोग मौजूद रहे ।