– माँ का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी मददगार है
संजय सोनी की रिपोर्ट
कासगंज । शिशु के जन्म के 42 दिनों तक आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर नवजात का ख्याल रख रही है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से नवजात को लेकर आशा कार्यकर्ता एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई रही है । साथ ही कमजोर नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल के लिए आशा (एचबीएनसी) यानि गृह भ्रमण के दौरान आधारित नवजात की देखभाल करती है। नवजात शिशुओं के ख्याल रखने के लिए आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण कर माँ-बच्चे को स्वस्थ रखने, मां को खानपान के साथ साथ बच्चे को शुरू के छह माह तक केवल स्तनपान कराने, बच्चे को छूने से पूर्व हाथ धोने, बच्चा कहीं निमोनिया का शिकार तो नहीं हो रहा है आदि गतिविधियों की जानकारी दे रहीं हैं।
कुसुमपुर की आशा मुन्नी देवी ने बताया कि प्रसव के बाद नवजात की बेहतर देखभाल की आवश्यकता होती है। खासतौर पर गृह प्रसव के मामलों में। शिशु जन्म के शुरुआती 42 दिन खास होते हैं। इस दौरान उचित देखभाल के अभाव में शिशु के मृत्यु की संभावना अधिक होती है। उन्होंने बताया कि प्रसव से पहले से तैयारी करती हैं। सरकारी अस्पताल एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में आशा घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल करती है।
गृह भृमण के दौरान नवजात की देखभाल के बारे मे मां को बताती हैं । मुन्नी बताती है कि ग्रह भृमण के दौरान वे संस्थागत एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में गृह भ्रमण कर नवजात शिशु की देखभाल करती है। संस्थागत प्रसव की स्थिति में 6 बार गृह भ्रमण करती है। इसमें जन्म के 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर भ्रमण का कार्य होता है। गृह प्रसव की स्थिति में सात बार गृह भ्रमण करती है। इसमें जन्म के 1, 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर यह भ्रमण होता है। इसलिए गृह आधारित देखभाल जरूरी है।
धंतोरिया की आशा कुसुमा ने बताया कि जन्म के 42 दिन नवजात की देखभाल ज़रूरी है उसके साथ ही जन्म के तुरंत बाद ही माँ का पहला पीला गाड़ा दूध (कोलस्ट्रम ) बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखता है । कुसुमा ने कहा बच्चे को केवल माँ का दूध ही पिलाएं ऊपरी शहद,पानी घुट्टी कुछ नहीं देना चाहिए । आशा ने बताया कि गर्भ से ही वे गृह आधारित देखभाल व स्तनपान की जानकारी गर्भवती व उसके परिवार को देती है, शिशु के जन्म के बाद गृह भ्रमण के दौरान 42 दिन की देखभाल के साथ स्तनपान की जानकारी देती है ।
जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक केपी सिंह ने बताया कि ग्रह भ्रमण आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर स्तनपान के बारे में जानकारी देती हैं । बच्चे मां का दूध पर्याप्त ले रहा है या नहीं। छह माह तक अन्य आहार और पानी तक नहीं देना आदि के बारे में जानकारी देती हैं । डीसीपीएम ने बताया कि नवजात देखभाल सप्ताह के दौरान आशाओं द्वारा किए जा रहे गृह भृमण नवजात देखभाल पर अधिक जोर दिया गया है। इसके लिए आशाओं को निर्देशित भी किया गया है कि वह गृह भ्रमण के दौरान नवजातों में होने वाली समस्याओं की अच्छे से पहचान करें एवं जरुरत पड़ने पर उन्हें रेफर भी करें। आशाएं गृह भ्रमण के दौरान न सिर्फ बच्चों में खतरे के संकेतों की पहचान करती है बल्कि माताओं को आवश्यक नवजात देखभाल के विषय में जानकारी भी देती हैं ।
– इन लक्षणों को नही करें अनदेखा :
-सही समय पर नवजात की बीमारी का पता लगाकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इसके लिए खतरे के संकेतों को समझना जरुरी होता है। खतरे को जानकर तुरंत शिशु को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।
– शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो
– शिशु स्तनपान करने में असमर्थ हो
– शरीर अधिक गर्म या अधिक ठंडा हो
– शरीर सुस्त हो जाए
– शरीर में होने वाली हलचल में अचानक कमी आ जाए
– गृह भ्रमण के दौरान पूछती है यह सवाल:
– सभी नवजात शिशुओं को अनिवार्य नवजात शिशु देखभाल सुविधाएं उपलब्ध कराना एवं जटिलताओं से बचाना।
– समय पूर्व जन्म लेने वाले नवजातों एवं जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर उनकी विशेष देखभाल करना
– नवजात शिशु की बीमारी का शीघ्र पता कर समुचित देखभाल करना एवं रेफर करना 4. परिवार को आदर्श स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना एवं सहयोग करना 5. मां के अंदर अपने नवजात स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का आत्मविश्वास एवं दक्षता को विकसित करना ।