मधुमेह को मात देने के लिए शारीरिक परिश्रम और उचित खानपान का रखें ध्यान डॉ दलवीर सिंह
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । हर साल मधुमेह को लेकर जागरूकता के लिए 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिवस पर मनाया जाता है, जिन्होंने कानाडा के टोरन्टो शहर में बेन्ट के साथ मिलकर सन 1921 में इन्सुलिन की खोज की थी। ग्रामीण आबादी में शहरी आबादी की तुलना में मधुमेह के रोगी कम मिलते हैं, क्योंकि वहां खान-पान का अंतर आ जाता है । इस बीमारी को रोकने के लिए न केवल जागरूकता बल्कि जीवनशैली में बदलाव भी अहम है । शहरों में अनियमित खान-पान और शारीरिक श्रम कम होने की वजह से मधुमेह के मरीज ज्यादा देखने को मिलते हैं । आईडीएफ यानी इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन हर साल वर्ल्ड मधुमेह दिवस के लिए एक थीम चुनता है इस बार की थीम “डायबिटीज केयर तक पहुंच” है ।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और एनसीडी के नोडल डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि मधुमेह के समय की एक आम बीमारी बन गयी है जिसको देखो बह इस बीमारी से घिरा हुआ है । लोग आज मेहनत का काम नहीं करना चाहते हैं इसलिए इस बीमारी ने भयानक रूप ले लिया है । इससे निपटने के लिए हमें शारीरिक परिश्रम और उचित खानपान का ध्यान रखना पड़ेगा । डॉ सिंह ने कहा विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर जिले के डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय पुरूष, सिविल अस्पताल लिंजीगंज सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के रक्त की जाँच कर मधुमेह का पता लगा जायेगा, उन्हें उचित परामर्श और दवा देकर मधुमेह रोग से बचने के उपाय भी बताये जायेंगे ।
सिविल अस्पताल लिंजीगंज में तैनात एनसीडी के डॉ ऋषिनाथ गुप्ता ने बताया कि खून में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक होता है, तो ऐसी स्थिति को मधुमेह रोग कहते हैं। दरअसल मधुमेह या डायबिटीज, जीवनशैली या वंशानुगत बीमारी है, जो शरीर में पैंक्रियाज ग्रंथियों के निष्क्रिय होने पर रोगी को प्रभावित करती है। पैंक्रियाज यानि अग्न्याशय ग्रंथियों के निष्क्रिय होने पर इंसुलिन (रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित करने वाला हार्मोन) बनना बंद हो जाता है। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल और वसा भी असामान्य हो जाते हैं, जिस कारण वाहिकाओं में बदलाव होता है और आंखों, गुर्दे, दिमाग, दिल आदि संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
डॉ गुप्ता ने बताया कि लगभग 100 लोगों की ओपीडी में 5 से 6 लोग मधुमेह से ग्रसित आ जाते हैं । मोहल्ला खड़याई के रहने वाले 65 वर्षीय सुशील मिश्र ने बताया कि मैं पिछले कई वर्षों से मधुमेह से ग्रसित हूँ प्रतिदिन सही समय से दवा लेने और व्यायाम करने से अब मैं अपने आपको स्वस्थ महसूस करता हूँ । इसी मोहल्ले के निवासी 75 वर्षीय रामलखन शुक्ल कहते हैं कि मैं काफ़ी समय से मधुमेह से ग्रसित हूं जिसके कारण चलने फिरने में परेशानी होती है ।
खून में शर्करा (शुगर) का सामान्य स्तर
भूखे पेट 100 मिग्रा से कम होना चाहिए।
खाना खाने से पहले 70 से 130 मिग्रा के बीच होना चाहिए।
खाना खाने के बाद रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 180 मिग्रा से कम होनी चाहिए।
सोते समय खून में शर्करा की सामान्य मात्रा 100 से 140 मिग्रा होती है।
मधुमेह के मुख्य लक्षण
थकान, कमजोरी, पैरों में दर्द, क्योंकि ग्लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाता।
पैर का घाव ठीक न होना या गैंग्रीन का रूप ले लेना।
अधिक पेशाब और भूख लगना।
वजन कम होना।
बार- बार चश्मे का नंबर बदलना।
जननांगों में खुजली और संक्रमण होना।
दिल या मानसिक समस्याएं।
आहार के साथ जरूरी सावधानियां:
नियमित शुगर स्तर की जांच कराए
किसी भी तरह के घाव को खुला ना छोड़ें
फलों का रस लेने के बजाय, फल खायें
व्यायाम करें और अपना वजन नियंत्रित रखें
डायबिटीज का कोई भी ठोस इलाज नहीं, लेकिन इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी बरतने और नियमित रूप से व्यायाम करने की जरूरत
मधुमेह की जांच के लिए किये जाने बाले परिक्षण
बेनेडिक्ट टेस्ट
ग्लूकोज ऑक्सीडेज टेस्ट
खाली पेट रक्तशर्करा की जाँच
ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट
NFHS 4 (2019-21) के अनुसार अगर जनपद की बात की जाये तो 141 मिग्रा से 160 मिग्रा के बीच 3.3 प्रतिशत महिलाओ में ब्लड शुगर हाई है, 2.9 प्रतिशत महिलाओं में 160 मिग्रा से ऊपर ब्लड शुगर है और जिले में 140 मिग्रा से ऊपर जिन महिलाओं को मधुमेह है और जो इसकी दवा लेती हैं उनका प्रतिशत 6.7 है ।
वहीं अगर पुरूषों की बात की जाए तो जनपद में 141 मिग्रा से 160 मिग्रा के बीच 3.9 प्रतिशत पुरूषों में ब्लड शुगर हाई है, 2.7 प्रतिशत पुरूषों में 160 मिग्रा से ऊपर ब्लड शुगर है और जिले में 140 मिग्रा से ऊपर जिन पुरूषों को मधुमेह है और जो इसकी दवा लेते हैं उनका प्रतिशत 7.1 है ।