रोटरी क्लब ने प्रदान किया टीबी मरीजों को पुष्टाहार
उपेंद्र शर्मा की रिपोर्ट
नोएडा । टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत भंगेल स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) पर रोटरी क्लब की ओर से बृहस्पतिवार को टीबी के करीब 50 मरीजों को पुष्टाहार प्रदान किया गया। जनपद में रोटरी क्लब नोएडा ने करीब चार सौ क्षय रोगियों को गोद लिया हुआ है। इनके पोषण की जिम्मेदारी रोटरी क्लब उठा रहा है। बारी–बारी और क्षेत्र के हिसाब से टीबी मरीजों को पोषाहार वितरित किया जाता है। बृहस्पतिवार को सीएचसी भंगेल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. यतेन्द्र की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में पोषाहार वितरण कार्यक्रम संपन्न हुआ। 17 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिसरख पर रोटरी क्लब की ओर से पुष्टाहार प्रदान किया जाएगा।
कार्यक्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. यतेन्द्र ने कहा- क्षय रोगी नियमित रूप से दवा लेते रहें। साथ ही प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करें। पौष्टिक आहार के सेवन से टीबी से लड़ने की ताकत मिलती है। नियमित रूप से दवा खाने पर क्षय रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। इसलिए दवा बीच में कतई न छोड़ें। इससे टीबी का रोग और बिगड़ जाता है। इसके साथ ही डा. यतेन्द्र ने क्षय रोगियों को उनके परिजनों की टीबी जांच कराने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने बताया स्वास्थ्य विभाग टीबी की जांच और उपचार की सुविधा निशुल्क उपलब्ध कराता है। दो सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार, वजन गिरना, सीने में दर्द, खांसते समय बलगम या खून आना और जल्दी थकान होना क्षय रोग के लक्षण हो सकते हैं। लक्षण नजर आने पर क्षय रोग की जांच अवश्य करानी चाहिए।
टीबी मरीजों को पुष्टाहार के रूप में चना, गुड़, सोयाबीन, दलिया, फल, बिस्कुट और फ्रूट जूस प्रदान किया गया। इस अवसर पर क्षयरोग विभाग के अंबुज पांडेय, पवन भाटी, अमर चौधरी, रविन्द्र राठी, खेमराज, रजनीश कुमार आदि मौजूद रहे।
गोद लिये जाने के अच्छे परिणाम आ रहे हैं सामने : डा. जैन
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. शिरीष जैन ने बताया- क्षय रोगियों को गोद लिए जाने के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इससे जहां क्षय रोगियों को पोषक तत्व युक्त भोजन प्राप्त करने में मदद मिलती है वहीं भावनात्मक सहयोग भी मिलता है। शासन के आदेश पर गोद लेने वाली संस्थाओं को निक्षय मित्र के रूप में पंजीकृत किया जा रहा है। निक्षय मित्र पुष्टाहार उपलब्ध कराने के साथ ही क्षय रोगियों के संपर्क में रहकर उन्हें नियमित रूप से दवा खाते रहने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इससे टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को बल मिल रहा है।