नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । मौसम के बदलने के साथ ही अक्सर बच्चों को निमोनिया हो जाता है जो कि कुछ मामलों में गंभीर साबित होता है। अगर समय पर निमोनिया के लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इस संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है। इस सम्बन्ध में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रभात वर्मा का कहना है कि निमोनिया फेफड़ों का एक कॉमन संक्रमण है जो बैक्टिरिया या वायरस के कारण होता है। यह फेफड़े से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिससे हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है।
डॉ वर्मा ने बताया कि यह एक संक्रामक बीमारी है जो खांसने, छींकने, छूने और यहां तक की सांस के जरिए भी फैलती है। बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें निमोनिया के कोई लक्षण साफतौर पर नहीं दिखते लेकिन वैसे लोग भी बीमारी फैला सकते हैं। डॉ वर्मा ने बताया कि निमोनिया दो प्रकार का होता है लोबर निमोनिया और ब्रोंकाइल निमोनिया।
लोबर निमोनिया फेफड़ों के एक या ज्यादा हिस्सों (लोब) को प्रभावित करता है। ब्रोंकाइल निमोनिया दोनों फेफड़ों के पैचेज को प्रभावित करता है।डॉ वर्मा ने बताया कि पीसीवी का टीका डेढ़ माह पर पोलियो खुराक, पेंटा, और आईपीवी के साथ दिया जाता है यही प्रक्रिया साढ़े तीन माह पर अपनाई जाती है,और 9 माह के बच्चे को खसरे के टीके के साथ दिया जाता है ।
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शिवाशीष उपाध्याय ने बताया कि बच्चों में निमोनिया पैदा करने वाला वायरस ज्यादातर पांच साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, नाक में कफ जमना, दस्त, भूख कम लगना और थकान या एनर्जी कम महसूस होना इसके लक्षणों में शामिल हैं।
डॉ शिवाशीष ने बताया कि बच्चों में बैक्टीरियल निमोनिया बहुत आम बात है।और इसके लक्षणों को भी समझना मुश्किल होता है। इसके लक्षण हैं तेज बुखार, पसीना आना या ठंड लगना, नाखूनों या होठों का नीला पड़ना, सीने में घरघराहट महसूस होना और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना।
डॉ शिवाशीष ने बताया कि निमोनिया के प्रकार के आधार पर ही इलाज प्रक्रिया चुनी जाती है। जैसे ही आपको बच्चे में निमोनिया का पता चले, वैसे ही तुरंत डॉक्टर के पास चेकअप करवाने जाएं। बैक्टीरियल निमोनिया के इलाज में एंटीबायोटिक की जरूरत होती है जबकि वायरल निमोनिया बिना किसी इलाज के कुछ दिनों के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है।
बच्चे को एंटीबायोटिक या अन्य कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह पर ही दें। निमोनिया होने पर बच्चे को अपने आप खांसी की दवा न दें। बच्चे को पर्याप्त आराम करने दें और शरीर को हाइड्रेट रखें । सही इलाज से एक या दो सप्ताह में निमोनिया साफ हो सकता है। हालांकि, खांसी बंद होने में ज्यादा समय लग सकता है। ज्यादा गंभीर मामलों में बच्चे को रिकवर होने में अधिक समय लग सकता है।