ठाकुर धर्म सिह ब्रजवासी की रिपोर्ट
वृन्दावन । ज्ञान गुदड़ी स्थित श्रीवृन्दावन चंद्र महाराज मन्दिर में ब्रज जन सेवा समिति के द्वारा कार्तिक मास के उपलक्ष्य में कार्तिक महोत्सव बड़े ही धूमधाम और श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया।जिसमें ब्रज के प्रख्यात भजन गायकों के द्वारा भजन संध्या एवं विद्वत संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ।महोत्सव का शुभारंभ ठाकुर श्रीवृन्दावन चंद्र जू महाराज के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य संतो-धर्माचार्यों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
महोत्सव में अपने विचार व्यक्त करते हुए ब्रज जन सेवा समिति के संरक्षक पंडित देवकीनंदन शर्मा (संगीताचार्य) व पुराणाचार्य डॉ. मनोजमोहन शास्त्री ने कहा कि कार्तिक मास अत्यंत महिमामयी मास है।क्योंकि कार्तिक मास के अधिदेव राधाकृष्ण हैं।इसीलिए इसे दामोदर मास भी कहा गया है।इस मास में किए गए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान शतगुणा फल प्रदान करने वाले होते हैं। “स्कन्द पुराण” एवं “श्रीभक्ति विलास” आदि ग्रंथों में इस मास की महिमा का विस्तार से वर्णन है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व प्रमुख समाजसेवी पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि कार्तिक मास अत्यंत उत्सवधर्मी मास है।इस माह में शरद पूर्णिमा, करवाचौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, गौवत्स द्वादशी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गिरिराज गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया, भैया दौज, गोपाष्टमी, अक्षय नवमी, देवोत्थान एकादशी एवं तुलसी शालिग्राम विवाह महोत्सव आदि जैसे अनेक मांगलिक उत्सव हैं। जो कि भारतीय वैदिक संस्कृति के प्राण हैं। इन पर्वों व त्योहारों से भारतीय वैदिक संस्कृति निरन्तर पल्लवित व पोषित होती है।
ब्रज जन सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. राधाकांत शर्मा व आचार्य रमेश चंद्र विधिशास्त्री ने कहा कि श्रीधाम वृंदावन राधाकृष्ण के उत्सवों की भूमि है। यहां वर्ष के 365 दिन ठाकुरजी के उत्सव मनाये जाते हैं। इन उत्सवों ने कार्तिक मास में होने वाले विशेष उत्सवों की अत्यधिक प्रधानता है।इसीलिए इसके चलते यहां आज कार्तिक महोत्सव मनाया गया है।
इस अवसर पर आचार्य युगल किशोर कटारे, रासाचार्य स्वामी रामशरण शर्मा, ब्रजमोहन शर्मा, प्रेमशरण शर्मा, संत रासबिहारी दास,आशीष साहा,असीम साहा(कोलकाता) , गोविंद शर्मा, आलोक शर्मा, राम दीक्षित, श्याम दीक्षित, मनोज ठाकुर, सोनू ब्रजवासी आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा ने किया। महोत्सव का समापन ठाकुरजी के प्रसादी (भंडारे) के साथ हुआ।