ठाकुर धर्म सिह ब्रजवासी की रिपोर्ट
वृन्दावन। छटीकरा गोवर्धन रोड़ स्थित मघेरे वाले हनुमान मंदिर के समीप स्थित बहुलावन की पावन भूमि पर श्रीराधा माधव सेवा संस्थान ट्रस्ट के द्वारा वानप्रस्थ धाम – 2, का भूमि पूजन एवं संत सम्मेलन श्रीमहंत कृष्णबिहारी दास महाराज की अध्यक्षता एवं अनेकों प्रख्यात संतों,विद्वानों व धर्माचार्यों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमहंत कृष्ण बिहारी दास महाराज ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य श्रीराधा माधव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया।
भूमि पूजन में मुख्य अतिथि के रूप में पधारें तुलसी तपोसव गौशाला के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य कौशिक महाराज व शास्त्रार्थ महारथी पुरुषोत्तम शरण शास्त्री महाराज ने कहा कि आचार्य चतुर नारायण पाराशर महाराज श्रीधाम वृन्दावन व बहुलावन में वानप्रस्थ धाम की स्थापना करके लोक कल्याण का एक बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं।इसमें देश के विभिन्न अंचलों के तमाम भक्तों व श्रद्धालुओं को ब्रजवास करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
प्रख्यात भागवताचार्य डॉ. श्यामसुंदर पाराशर व आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने कहा कि आज के भौतिक व यांत्रिक युग में नई पीढ़ी के तमाम व्यक्ति अपने माता – पिता को अत्यंत उपेक्षित व तिरस्कृत किए हुए हैं।ऐसे में आचार्य चतुर नारायण पाराशर महाराज के द्वारा संस्थापित वानप्रस्थ धाम उनके लिए एक वरदान सिद्ध होगा।क्योंकि इसमें उनके लिए आजीवन रहने,भोजन,चिकित्सा आदि की समुचित व्यवस्था रहेगी।
गोवर्धन क्षेत्र के विधायक ठा. मेघश्याम सिंह व पूर्व मंत्री पंडित श्यामसुंदर शर्मा ने कहा कि आचार्य चतुर नारायण पाराशर महाराज धर्म व अध्यात्म जगत की बहुमूल्य निधि हैं। उनके द्वारा स्थापित वानप्रस्थ धाम की उत्तरोत्तर प्रगति की हम प्रभु से मंगल कामना करते हैं।
ब्रज सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व ब्रज भूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि आचार्य पंडित चतुर नारायण पाराशर महाराज के द्वारा जो वानप्रस्थ धाम की स्थापना के लिए भूमि पूजन किया गया है,उसके द्वारा गौसेवा, निर्धन – निराश्रित सेवा, वृद्धों आदि की सेवा युद्ध स्तर पर की जाएगी।इसीलिए यहां पर 7 बीघे का विशाल भूखंड क्रय किया गया है।
यह भूमि अत्यंत पावन व पुनीत है। क्योंकि यहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गौचारण किया गया था। इस अवसर पर महामंडलेश्वर किशोरी शरण महाराज, डॉ. स्वामी आदित्यानंद महाराज, श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, धर्मरत्न बलरामाचार्य महाराज, डॉ. रामदत्त मिश्र,आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, रामकथा मर्मज्ञ अशोक व्यास,विपिन बापू, आचार्य पीठाधीश्वर यदुनंदनाचार्य महाराज, युगल किशोर कटारे,संत रामकृपाल दास चित्रकूटी,पंडित रामनिवास गुरुजी, युवा साहित्यकार डॉ राधाकांत शर्मा, बाबा कर्मयोगी, शिवम साधक, विमल चैतन्य, कृष्ण कन्हैया पदरेणु, पूर्व विधायक गिरीश शर्मा (भोपाल), हरिशंकर भार्गव, वेदांताचार्य, रामस्वरूप महाराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने किया।