लगभग 800 बेटियों को सिखा चुके हैं ताइक्वांडो
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । बेटियां नहीं तो कुछ नहीं, बेटियां ही हैं, हमारा आने वाला भविष्य । लेकिन आज के समय में भी लोग बेटों की चाहत में बेटियों को गर्भ में ही मार देते हैं । जब बेटियां ही नहीं होंगी तो बेटे कहां से लाओगे l इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने मिशन शक्ति अभियान चला रखा है इसके तहत ही बालिकाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है । इसी अभियान के तहत बेटियों को ब्रह्मदत्त स्टेडियम में ताइक्वांडो सिखाकर उनकी आत्मरक्षा,राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में ताइक्वांडो मास्टर ट्रेनर अजय प्रताप सिंह लगे रहते हैं ।
अजय प्रताप मूलतः कानपुर जिले के रहने वाले हैं लेकिन 2019 से जनपद में ताइक्वांडो के मास्टर ट्रेनर पद पर तैनात हैं । बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत अजय ज़िले में नियुक्ति हुए। व 2019 से लेकर अब तक लगभग 800 बेटियों को ताइक्वांडो सिखा चुके है । जिसमें निकिता,अमिता, सिमरन, कशिश दिव्या जैसी न जाने कितनी बेटियाँ न सिर्फ राज्य स्तर पर ही बल्कि राष्ट्रीय स्तर से ताइक्वांडो में पदक दिलवा चुकी हैं ।
वर्तमान में अजय डिस्ट्रिक्ट ताइक्वांडो एसोसिएशन के सचिव है । साथ ही उन्हें ताइक्वांडो में राष्ट्रीय पदक भी मिल चुका है । इस संबंध में आल इंडिया नेशनल यूनिवर्सिटी पदक विजेता निकिता दुबे ने बताया कि पहले हम घर से अकेले निकलने से संकोच करते थे, उतना आत्मविश्वास भी नहीं था लेकिन जब से अजय सर ने ताइक्वांडो सिखाया है तब से हमें किसी से भय नहीं लगता है यह सर की ही शिक्षा है जो मैने कई पदक भी जीते हैं ।
उत्तर प्रदेश पुलिस में अपनी सेवा दे रहीं अमिता ने बताया कि मैंने अजय सर के सानिध्य में 2019 ताइक्वांडो सीखा । उसी समय मेरी पुलिस की भर्ती भी हो गई । इसके बाद मैंने राज्य स्तर पर ताइक्वांडो प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें मुझे पदक मिला । आज मैं जो कुछ भी हूं सर की वजह से ही हूं । मुख्य विकास अधिकारी एम अरुणमोली का कहना है कि आज़ बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं चाहे कोई भी काम हो बेटियों से बचा नहीं है ।
मेरी बेटी भी अजय जी से ताइक्वांडो सीख रही है । वह एक अच्छे मास्टर ट्रेनर हैं । जिला प्रोवेशन अधिकारी अनिल चंद्र ने बताया कि अजय एक अच्छे मास्टर ट्रेनर के साथ ही अच्छे इंसान भी हैं । इन्होंने जब से बेटियों को ताइक्वांडो सिखाया है तब से कई बेटियां आत्मनिर्भर हो गई हैं । साथ ही अब निडरता के साथ कैसी भी परिस्थिति हो मुकाबले के लिए तैयार रहती हैं ।