इस रोग का सफल इलाज आयुर्वेद में है
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । बदलती जीवनशैली, मोटापा, गलत खानपान के कारण गठिया यानी अर्थराइटिस रोग युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। भारत में यह रोग मधुमेह के बाद सबसे तेजी से फैल रहा है। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय फतेहगढ़ में चिकित्सा अधिकारी के पद पर तैनात डॉ आदित्य किशोर ने बताया कि गठिया के तहत रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाता है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है। नाड़ी की गति तेज हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है, लेकिन कुछ सावधानी बरत कर ऐसे असहनीय दर्द और गठिया जैसी बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं।
डॉ आदित्य ने बताया कि गठिया रोग होने पर समय रहते इसका इलाज कराना जरूरी होता है। 30 से 35 साल की उम्र के बाद यह बीमारी होती है। गठिया की बीमारी बढ़ने के बाद यह अधिक तकलीफदेह हो जाती है। सामान्य काम करने में भी बहुत परेशानी आती है। उन्होंने बताया कि गठिया शरीर के किसी भी हिस्से से हो सकता है। इसकी मुख्य वजह है जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने लगता है। और वह धीरे-धीरे गठिया का रूप लेने लगता है। यूरिक एसिड की मुख्य वजह है गलत खानपान और जीवनशैली। जिसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
डॉ आदित्य ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 180 लोगों की राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्साल्य में ओपीडी होती है । जिसमें से लगभग 70 मरीज गठिया रोग से पीड़ित आते हैं । नगला दीना फतेहगढ़ की रहने वाली 65 वर्षीय मंजू देवी ने बताया कि मुझे लगभग 15 वर्षों से गठिया रोग है। आजकल मैं आयुर्वेदिक चिकित्सालय से दवा ले रही हूँ। इससे मुझे अब लगभग 50 प्रतिशत आराम है l
छीबरामऊ जिला कन्नौज के रहने वाले 60 वर्षीय ज्ञान प्रकाश बताते हैं कि मुझे गठिया रोग लगभग 3 बर्ष से है चलने में बहुत परेशानी होती थी अब जब से इलाज कराया मुझे लगभग 75 प्रतिशत आराम है मैं सभी से अनुरोध करना चाहता हूं जिस किसी को भी यह रोग हो वो राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय फतेहगढ़ से निशुल्क दवा ले सकता है ।
गठिया रोग के लक्षण –
गठिया से कोई भी जोड़ प्रभावित हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर अंगों के सिरों ओर जोड़ों को प्रभावित करता है, जैसे पैर की उंगलियों, टखनों, घुटनों और उंगलियों को।
गठिया रोग होने पर बरतें ये सावधानियां –
घुटनों में दर्द होने पर पालथी नहीं बनाएं।
नियमित वॉक करें, व्यायाम करें, डॉक्टर की सलाह से मालिश करें।
सीढ़ियां चढ़ते समय, घूमते-फिरने के दौरान छड़ी का प्रयोग करें।
बारिश और ठंड में गुनगुने पानी से नहाएं।
ठंडी हवा, ठंडी नमी वाली जगह पर नहीं जाएं।
यह भी जानें –
इसी को देखते हुए हर साल 12 अक्टूबर को गठिया दिवस मनाया जाता है। पहली बार दुनियाभर में विश्व गठिया दिवस (वर्ल्ड अर्थराइटिस डे) 12 अक्टूबर 2013 को मनाया गया। इस अवसर पर संधिवात और गठिया जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की मदद के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। विश्व गठिया दिवस चिकित्सा समुदाय, मरीजों और आम जनता के बीच इस बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। गठिया को संधि शोथ या जोड़ों में दर्द के रोग के रूप में भी जाना जाता है।