वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य , जिले में इस समय हैं 2772 क्षय रोगी
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । यदि आप निक्षय मित्र हैं, अर्थात आपने किसी टीबी मरीज को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है, तो प्रदेश की राज्यपाल आपके इस सराहनीय कार्य के लिए आपको सम्मानित कर सकती हैं। इस संबंध में राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक (क्षय) ने प्रदेश के सभी जिला क्षय अधिकारियों को पत्र लिख कर उत्कृष्ट कार्य करने
वाले सर्वश्रेष्ठ निक्षय मित्र का विवरण मांगा है। दरअसल निक्षय मित्र योजना के तहत कोई भी व्यक्ति टीबी (क्षय) रोग के खिलाफ शुरू की गई राष्ट्रव्यापी जंग में अपना योगदान दे सकता है। ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
ज़िला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुनील मल्होत्रा ने लोगों से निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ जंग को मजबूती देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह देश ने सम्मलित प्रयासों से पोलियो और कोरोना के खिलाफ जंग जीती है, उसी प्रकार टीबी के खिलाफ जंग को जीतने के लिए सम्मिलित प्रयास किया जाना है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य है। इस क्रम में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान शुरु किया गया । इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने के लिए निक्षय मित्र योजना की शुरुआत की गई है।
क्या है निक्षय मित्र योजना —
डीटीओ ने बताया कि निक्षय मित्र योजना टीबी से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना है। इस योजना के तहत कोई भी स्वयंसेवी संस्था, औद्योगिक इकाई या संगठन, राजनीतिक दल या कोई भी व्यक्ति टीबी मरीज को गोद ले सकेगा, ताकि वह इलाज में उसकी मदद कर सके और उसके लिए हर माह पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर सके।
इस अभियान के तहत निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्था को कम से कम एक साल के लिए और अधिक से अधिक तीन साल के लिए किसी ब्लॉक, वार्ड या जिले के टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण आदि जरूरी मदद उपलब्ध करानी होती है। इस अभियान से जुड़ने के लिए निक्षय पोर्टल www.nikshay.in पर रजिस्टर कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में 50 निक्षय मित्र हैं। साथ ही क्षय रोग मुक्त देश बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें ।
योजना का उद्देश्य —
क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक सौरभ तिवारी ने बताया कि इस अभियान को जन-आंदोलन बनाकर आमजन को बताना होगा कि इस बीमारी की रोकथाम संभव है। इसका इलाज आसान और नि:शुल्क है। लोगों को यह भी बताना होगा कि टीबी के कीटाणु हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं।
लेकिन जब रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो व्यक्ति में यह रोग दिखता है। इलाज से इस बीमारी से जरूर छुटकारा मिल सकता है। ये सभी बातें लोगों तक पहुंचने के बाद ही टीबी से प्रभावित लोग इलाज की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। सौरभ ने बताया कि इस समय जिले में 2772 टीबी रोगी हैं जिनका इलाज चल रहा है ।