नौशाद अली की रिपोर्ट
गोंडा। धानेपुर जिले का सबसे चर्चित सरकारी अस्पताल बन चुका है सामुदयिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेहना, यहां लम्बे समय से डॉक्टर दम्पत्ति अपने काले साम्राज्य का किला किसको भेदने नही देते, जब भी कोई पत्रकार अथवा सामाजिक कार्यकर्ता इनकी मनमानियों पर अंकुश लगाने की कोशिश भी करता है तो तरह -2 हथकण्डे अपना कर उसे चुप रहने पर मजबूर कर दिया जाता है।
यही वजह है की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेहना में पत्रकारों से डॉक्टर व स्टाप के बीच कभी अच्छे सम्बन्ध नही रहे, करीब एक दशक से भी अधिक समय तक अधीक्षक के पद रहे तैनात रहे वर्तमान अधीक्षक के पति विवेक मिश्रा पर रिवाल्विंग फंड, एन.आर.एच.एम घोटाला, मानदेय भुगतान में घूसखोरी, सहित कई मामले सामने आये किन्तु पैसों के दम पर उन्हें क्लीन चिट मिलती रही, कुछ बड़े घोटालों की फाइल आज भी सी.एम.ओ ऑफिस में पड़ी धूल फांक रही है। कुछ
महीनों पूर्व अस्पताल परिसर के मीटिंग हाल में बर्थडे सेलिब्रेशन पार्टी मना रहे डॉक्टर विवेक मिश्रा सहित पूरा स्टाप दारु के नशे में सिर पर बोतल रख कर डांस करते हुए दिखे जिसका विडियों वायरल होने के बाद उनका ट्रान्सफर कर दिया गया उनकी जगह उनकी पत्नी सुमन मिश्रा को अधीक्षक पद की जिम्मेदारी विभाग ने सौंप दी, विभाग की ये कार्यवाही भी सब पब्लिक और मीडिया का ध्यान हटाने के लिए ही था क्योंकि उसी परिवार के दूसरे सदस्य को अधीक्षक जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी उसे दिया जाना औचित्यपूर्ण नही जिससे आरोपी के घनिष्ठ सम्बन्ध हैं।
खैर बात पुरानी हो गयी, जिला प्रशासन जैसा चाह रहा था,लोगों का ध्यान इस तरफ से हट गया और पूर्व अधीक्षक की उन गतिविधियों को संचालित करने की जिम्मेदारी अब उनकी पत्नी सुमन मिश्रा उठाने लगी। चेहरा बदल तो गया किन्तु यहां की ब्यवस्था में कोई सुधार नही हुआ, इलाज के लिए यहां पहुंचने वाले मरीज हमेशा डरे सहमे ही मिलते कुछ बोलने की हिम्मत कोई दिखाता भी है तो उसके साथ गैर जिम्मेदाराना रवैय्या अपनाया जाता है।
इन सबके बावजूद स्वास्थ्य महकमे के आलाधिकारी हर बार शिकायतों के बाद उन्हें क्लीनचिट दे कर डॉक्टर दम्पत्ति की कारस्तानियों को बढ़ावा देते आ रहे हैं। नवजात शिशु के साथ जो हृदय विदारक घटना घटित हुयी उसको प्रकाश में आने के बाद जांच कर्ताओं ने बिना पीड़ित परिवार का पक्ष जाने एक तरफा रिपोर्ट शासन को भेजी गयी उसी रिपोर्ट को पूर्णतः सही मान कर स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने भी उसे सरकार की छवि खराब करने का कुत्सित प्रयास माना लिया और पत्रकार जगत में भय व्याप्त करने के लिए एक पत्रकार पर ही मुकदमा पंजीकृत करा दिया गया इससे यह साफ़ जाहिर होता है की भ्रष्टाचार मिटाने की जगह अपनी कुर्सी बचाने के लिए भ्रष्टाचारी को ही संरक्षण दिया जा रहा है।