विद्यालयों में जाकर बच्चों का एनीमिया जांचेगी एवं आईएफए टेबलेट वितरित करेगी स्वास्थ्य विभाग की टीम
अन्नू सोनी की रिपोर्ट
अलीगढ। जनपद में कल से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह शुरू होने जा रहा है। 7 सितंबर तक चलने वाला यह सप्ताह राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ विभाग की ओर से मनाया जा रहा है। इस दौरान सभी सीएचसी एवं पीएचसी पर किशोर किशोरियों को पूछना के प्रति जागरूक किया जाएगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीरज त्यागी ने दी।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
सीएमओ ने बताया कि इस दौरान किशोर स्वास्थ्य दिवस, काउन्सिल की आउटरीच भ्रमण, किशोर स्वास्थ्य मंच एवं स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित कर वृहद स्तर पर जानकारी भी दी जाएगी। इस अभियान में जिला बेसिक शिक्षा विभाग एवं स्वास्थ विभाग की कार्य योजना रहेगी। इसके अंतर्गत यौन एवं प्रजन्न स्वास्थ्य, पोषण, गैर संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य, हिंसा एवं चोट मादक द्रव्य से बचाव पर आधारित विभिन्न गतिविधियों के जरिए संवेदित किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष सप्ताह मनाया जा रहा है। कार्यक्रम में जो भी किशोर व किशोरियों से सम्बंधित समस्याएं हैं, उन्हें इस सप्ताह के दौरान जागरूक किया जाएगा। साथ ही साथ जो पोषण सम्बंधी कार्यक्रम इस गत वर्ष चलाए जा रहे हैं। उनके शत-प्रतिशत क्रियान्वयन हेतु विभाग ने रणनिती तैयार कर ली गई है। उन्होंने कहा कि इसी सप्ताह के भीतर किशोर-किशोरियों तक समस्त सेवाओं के लिए पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।
नोडल अधिकारी डॉ. बीके राजपूत ने बताया कि अभियान के दौरान इस सप्ताह में स्कूलों में जाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम एनीमिया की जांच एवं आई0एफ0ए टेबलेट वितरित करेगी और जांच के बाद हर बच्चे की शारीरिक स्थिति का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा। ताकि उसे दुरुस्त करने के लिए भी कार्य किया जा सके।
डीईआईसी मैनेजर मुनाजिर हुसैन ने कहा कि स्कूल एवं समुदाय में ग्राम प्रधान सरपंच एवं स्थानीय नेताओं तथा सहयोगी विभागों के साथ मिलकर रैली एवं नुक्कड़ नाटक इत्यादि के माध्यम से स्वास्थ्य जीवनशैली एवं पोषण की महत्त्व का प्रचार-प्रसार करना है।
एनीमिया का कारण:
•शरीर की आयरन की मांग बढ़ाना।
•भोजन पदार्थों में आयरन की कमी।
•शरीर द्वारा आयरन का कम अवशोषण होना।
•किशोरियों में महावारी के दौरान अधिक रक्तस्राव होना।
•पेट में कीड़े होना।