उत्तर प्रदेश के अलीगढ में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है। मान्यता है कि गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था, यह जानकारी महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी 22 अगस्त यानी शनिवार को मनाई जाएगी। शनिवार को गणेश प्रतिमा के स्थापन के उपरांत आगामी 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि का आरंभ शुक्रवार को मध्यरात्रि 01:59 मिनट से हो रहा है। भगवान गणेश का जन्म मध्यमान काल में हुआ था अत: इनकी पूजा मध्यमान काल में की जाएगी, वहीँ इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में हैं। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। स्वामी जी ने भगवान गणेश से जुडी जानकारी देते हुए बताया कि शिवपुराण के अनुसार देवी पार्वती ने अपने उबटन से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। उन्होंने इस प्राणी को द्वारपाल बना कर बैठा दिया और किसी को भी अंदर न आने देने का आदेश देते हुए स्नान करने चली गईं। संयोग से इसी दौरान भगवान शिव वहां आए। उन्होंने अंदर जाना चाहा, लेकिन बालक गणेश ने रोक दिया। नाराज शिवजी ने बालक गणेश को समझाया, लेकिन उन्होंने एक न सुनी। क्रोधित शिवजी ने त्रिशूल से गणेश का सिर काट दिया। पार्वती को जब पता चला कि शिव ने गणेश का सिर काट दिया है, तो वे कुपित हुईं। पार्वती की नाराजगी दूर करने के लिए शिवजी ने गणेश के धड़ पर हाथी का मस्तक लगा कर जीवनदान दे दिया। तभी से शिवजी ने उन्हें तमाम सामर्थ्य और शक्तियां प्रदान करते हुए प्रथम पूज्य और गणों का देव बनाया। गणेश प्रतिमा की स्थापना के बारे में स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि सुबह नित्यकर्मों से निर्वत्त होकर एक शुद्ध आसान पर बैठकर भगवान गनेश की प्रतिमा का दूध, दही, घी, शहद, बूरा आदि से स्नान करवाकर रोली चन्दन आदि से श्रृंगार करें, तत्पश्चात भगवान गणेश का अर्चन कर मोदक, दूर्वाघास अर्पित कर उनकी स्तुति करें।
अलीगढ़ से संवाददाता
अक्षय कुमार गुप्ता