राजस्थान (भीलवाड़ा) लॉकडाउन के चलते एक और जहां पूरे देश में कुत्तों को इंसानों द्वारा नफरत और हिकारत भरी निगाहों से देखा जाता है। और कहीं कहीं पर तो इन बेजुबानों को शरारती तत्वों के द्वारा बेवजह मार पीट का शिकार होना पड़ता है। सलोनी सिंह ने संवाददाता भैरु सिंह राठौड़ को बताया कि जब कोई इन बेजुबानों को बेवजह मारता है तो उनके दिल में इन बेजुबानों के प्रति एक दर्द होता है। सलोनी कहती हैं कि आज के जमाने में कुत्ते इंसान से ज्यादा वफादार होते हैं। यह बात नोएडा की रहने वाली सोशल एक्टिविस्ट सलोनी सिंह ने बखूबी समझा है। जी हां हम बात कर रहे हैं नोएडा के सेक्टर 78 में रहने वाली 34 बर्षीय सलोनी सिंह की। जिसे न केवल कुत्तों से बेपनाह मोहब्बत है बल्कि अभी कोरोना जैसी महामारी में वो खुद किसी से सहयोग लिए बिना अपने हाथों से कुत्तों के लिए खाना बना कर हर रोज खिलाती है। सलोनी बताती हैं कि कुत्ते भी हर रोज तय समय पर बड़ी बेसब्री से सलोनी का इंतज़ार करते हैं। शायद उन्हें भी मालूम है सलोनी के हाथों में उनके लिए खाने के साथ वो प्यार का अपनापन है जो शायद किसी में नहीं है। सलोनी ने कई तरह की नस्ल के कुत्ते पाले हैं। सलोनी के बारे में या यूं कहिए कि उसके दिल में इंसानों से ज्यादा इन कुत्तों से प्यार है, तो गलत नहीं होगा। वाकई सलोनी ने कुत्तों से प्यार करके दुनिया वालों को यह संदेश दिया है कि चाहे जानवर हो या इंसान उसे प्यार करने से सहज ही वह अपना बन जाता है। जी हां यह बात सलोनी ने इन बेजुबान कुत्तों से बेपनाह मोहब्बत करके अहसास किया है। आज लोगों के बीच पेज 3 और एंटरटेंमेंट की दुनिया में सलोनी एक सेलिब्रिटीज के रुप में जानी जाती हैं। सलोनी कहती हैं कि जो लोग इन कुत्तों के प्रति जैसी दुर्भावना रखते हैं। वैसा हकीकत में कुछ भी नहीं है। वो महज एक बार इनसे प्यार कर लें तो उनका इनके प्रति नजरिया ही बदल जाएगा। भले ही सलोनी के इन बेजुबान जानवरों के प्रति मोहब्बत का लोग शुरू से मजाक उड़ाते रहे हों,पर हकीकत यह है कि सलोनी का दिल इन बेजुबानों की मोहब्बत का तलबगार है और वो बेजुबान उनके पेट की भूख मिटाने के लिए सलोनी से आस की उम्मीद में जीते हैं। यही कारण है कि सलोनी की मोहब्बत इनके प्रति आज भी बड़ी शिद्दत से बरकरार है। लोग दुनिया वाले चाहे कुछ भी कहे, परंतु ऐसा लगता है सलोनी का इनके प्रति मोहब्बत का सिलसिला एक लंबे अंतराल तक चलेगा और उन बेजुबानों का सलोनी के प्रति आस का समन्दर शायद ही कभी सूख पाए, क्योंकि उम्मीद पर दुनिया कायम है, तथा उम्मीद उनकी सलोनी से बंधी हुई है। और उन बेजुबानों की उम्मीद को शायद सलोनी से बेहतर और कौन समझ सकता है।