ठाकुर धर्म सिह ब्रजवासी की रिपोर्ट
मथुरा-वृंदावन । शरद पूर्णिमा पर्व पर अपनी विशिष्ट शैली के लिए विख्यात श्री रंगनाथ मंदिर में भक्तिरस के साथ सुर संगीत की अद्भुत सरिता प्रवाहित हुई। रिमझिम फुहारों के बीच संगीत प्रेमियों ने संगीत संध्या का जमकर लुत्फ उठाया।
उत्तर भारत के विशालतम श्री रंगनाथ मंदिर में शरद पूर्णिमा पर्व पर संध्याकाल में ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान श्वेत वस्त्राभूषण से अलंकृत होकर रजत निर्मित चंद्र वाहन पर विराजित हुए तो मंदिर परिसर रंगनाथ भगवान के जयकारो से अनुगुंजित हो उठा।
ठाकुर जी के विराजित स्थल को आकर्षक हरे पत्तों और सुगंधित पुष्पो से सुसज्जित किया गया। चंद्र वाहन में विराजित ठाकुर जी को रिझाने के लिए आयोजित संगीत संध्या की शुरुआत प्रख्यात ध्रुपद गायक पद्मश्री उस्ताद फैयाज वसीफुद्दीन डागर के शास्त्रीय गायन से हुई।
उस्ताद डागर ने ओम नमो नारायण से ठाकुर जी की आराधना के बाद श्री कृष्ण के महारास पर आधारित पद कुंजन रचाओ रास का माधुर्य पूर्ण गायन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी क्रम में श्री डागर ने एक के बाद एक कई प्रस्तुतियां देकर श्रोताओं को बांधे रखा।
उसके बाद मंच संभाला नामचीन पखावज वादक पंडित मोहन श्याम शर्मा ने, श्री नाथद्वारा परंपरा के पंडित तोताराम शर्मा की शिष्य परम्परा के पंडित मोहनश्याम शर्मा ने अपनी जादुई अंगुलियों का जादू जब पखावज पर बिखेरा तो श्रोता तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।
समापन कर्नाटक शास्त्रीय नृत्य कला के मशहूर कलाकार श्री धर वासुदेवन के भरतनाट्यम नृत्य से हुआ। श्री कृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित पदो पर अद्भुत भाव भंगिमाओं से दर्शको को भाव विभोर कर दिया।
इस अवसर पर स्वामी रघुराज, अनघा श्री निवासन, कमला श्री निवासन, चक्रपाणि मिश्रा, लखन लाल पाठक, तिरुपति राव, शरद शर्मा,वैरागी बाबा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।