भीलवाड़ा, राजस्थान राजनीति में कहते हैं इंसान की जिंदगी की दौड़ में किसी भी काम के करने का आगाज क्या होगा और अंजाम की परिणिति क्या होगी इस बात का इल्म उसके बचपन के क्रिया कलापों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जाता है। और इसी बात को लेकर कई कहावतें भी बनाई गई है जो निहायत ही सटीक साबित हुई हैं। उनमें एक है कि “पूत के पांव पालने में ही दिखाई पड़ते हैं कि जिंदगी में वो क्या गुल खिलाएगा”। ठीक यही बात सेवानिवृत्त सीआरपीएफ के रिटायर्ड फौजी संजय सिंह शक्तावत की पत्नी और रावणा राजपूत समाज की राजस्थान प्रदेश संगठन मंत्री, कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ की भीलवाड़ा जिला उपाध्यक्ष, आसींद उचित मूल्य की दुकान संरक्षण समिति में सलाहकार, और अखिल भारतीय रावणा राजपूत समाज की पुर्व जिला उपाध्यक्ष एवं कालियास कस्बे की सरपंच पद की भावी प्रत्याशी अनिता कंवर शक्तावत पर सटीक उतरती हैं। रावणा राजपूत समाज और कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाली अनिता कंवर की यूं तो कोई पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, पर उनका इतनी कम उम्र में पार्टी और समाज के विभिन्न पदों पर काबिज रहना उनकी सक्रियता और काबिलियत को दर्शाता हैं। तहसील, जिला और प्रदेश स्तर के रावणा राजपूत समाज व कांग्रेस पार्टी के विभिन्न पदों पर कार्यरत अनिता कंवर बिना स्वार्थ और भेदभाव के सबका साथ और सबका विकास करने में यकीन रखती हैं। अनिता कंवर को पुर्व दबंग विधायक हगामी लाल मेवाड़ा का खुलकर समर्थन करना भी उनके लिए काफी हद तक फायदेमंद साबित होगा। अनिता कंवर से जब इस संवाददाता भैरू सिंह राठौड़ ने उनके खिलाफ राजनीतिक रोडों के बारे में पुछा तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि कालियास की जनता काफी समझदार है और उन्हें जनता पर पूरा-पूरा यकीन है और वो अपनी जीत के प्रति काफी आश्वस्त नजर आई। और वो इस क्षेत्र में किसी को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं मानती। अनिता कंवर ने अपने पापा जो 15 साल तक बनेड़ा कस्बे में सरपंच रहे को अपना
राजनैतिक गुरु बताया। जब इस संवाददाता भैरू सिंह राठौड़ ने उन्हें मिल रहे अपार जनसमर्थन में उनके किसी के साथ बिक जाने का सवाल किया तो तपाक से बोली कि अनिता कंवर राजनीतिक मैदान में “बिकाऊ” नहीं बल्कि “टिकाऊ” का नाम है। स्पष्ट वक्ता और निष्पक्ष खुला कहने वाली अनिता अपने कस्बे में वाकपटुता में लोकप्रिय है। उन्होंने एक जाति विशेष के लिए कहा कि उन्होंने इतने सालों तक रावणा राजपूत समाज के लोगों को केवल मात्र वोट बैंक तक ही सीमित रखा है पर अब नहीं चलेगा। वाकई अनिता कंवर के बुलंद इरादों और मंतव्यो को लेकर एक बात तो स्पष्ट कि आने वाले सरपंच के पदों पर होने वाले चुनाव में कई राजनीतिक धुरंधर खिलाड़ीयों की राजनीतिक जमीन धरातल से खिसकने की संभावनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता है। जो निश्चित ही चिंता का विषय है। यह बात तो तटस्थ सत्य है कि अनिता कालियास कस्बे में होने वाले पंचायत चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण करते हुए चुनाव परिणामों को एक निर्णायक मोड़ देने का माद्दा रखती है। जब इस संवाददाता भैरू सिंह राठौड़ ने कालियास कस्बे के अलग-अलग मतदाताओं से सरपंच के चुनाव के बारे में चर्चा की तो बहुत से मतदाताओं का रुझान अनिता कंवर के पक्ष में आया और इसमें सबसे बड़ी आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि उनमें कांग्रेस के परंपरागत मतदाताओं के रुझान तो निःसंदेह थे ही उससे भी कहीं ज्यादा भाजपा के नेताओं के नाम सामने आए हैं जिनमें अधिकांश भाजपा नेताओं की रिकॉर्डिंग भी हमारे पास मौजूद हैं जिनमें उन्होंने अनिता कंवर का खुलकर समर्थन करने की बात कही है पर उनको ओपन करना पत्रकारिता के खिलाफ हैं। चाहे कोई कुछ भी सोचे पर अनिता आज से 20 साल पहले के चुनाव परिणाम को दोहरा सकती हैं। जब भी पंचायत चुनाव में धनबल वाले धराशाई हुए थे और एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। अगर ऐसा होता है तो निःसंदेह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।