भीलवाड़ा, राजस्थान श्रीगंगानगर जिले के ततारसर निवासी भूराराम मेघवाल के इकलौते पुत्र लोकेश मेघवाल का वहीं के महियावाली गांव में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय की दादागिरी, हठधर्मिता और लापरवाही न नन्हे मासूम लोकेश कुमार की जान ले ली। छात्र की मौत को प्रशासन ने भी संदेहास्पद मानते हुए कारवाई की बात कह रहा है। लोकेश के चाचा भूराराम मेघवाल ने इस संवाददाता भैरू सिंह राठौड़ को फोन पर विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि उनके कोई संतान नहीं होने की वजह से उसने अपने भाई के बेटे लोकेश को गोद ले रखा था तथा उसका लालन-पालन पढ़ाई लिखाई सब वो ही करा रहे थे। मृतक लोकेश 12 साल का कक्षा 6 का छात्र था। लोकेश पढ़ाई में काफी होशियार था जिसके चलते उसका नवोदय विद्यालय में चयन हुआ था। आगे भूराराम ने बताया कि विधालय के स्टाफ का व्यवहार बच्चे के प्रति अच्छा नहीं था यह बात समय समय पर बच्चा उन्हें बताता रहता था। पर बच्चे के भविष्य के लिए भूराराम इसे भी कड़वा घूंट समझकर पीता रहा। 15 मार्च को मृतक लोकेश की तबीयत अचानक ज्यादा खराब होने लगी तो विधालय प्रशासन ने कोई खास ध्यान नहीं दिया। और अपने ही स्तर पर विधालय में स्थित चिकित्सा वार्ड में बच्चे को दिखाया, जहां पर बच्चा वार्ड में कार्यरत राजेश अरोड़ा ने इलाज किया। पर बच्चे की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। इतना सबकुछ घटित हो जाने के बाद भी विधालय प्रशासन ने लोकेश के परिजनों को सुचित नहीं किया और ना ही शीघ्र रेफर किया गया जबकि आमतौर पर बच्चे की छोटी सी बीमारी के लिए भी घरवालों को सुचित किया जाता है। मृतक लोकेश के चाचा भूराराम ने बताया कि विधालय में बच्चों के लिए जो खाना बनता था वो भी सबसे घटिया किस्म का बनता था। जब 15 मार्च को लोकेश की तबीयत बिगड़ने लगी तो उसने अपने पापा ठाकर राम को विधालय की केंटिन में जाकर फोन पर बताया यह सुनकर ठाकर राम आनन फानन में विधालय पहुंचा तो वहां के वार्डन ने उसके साथ बदतमीजी की और ऐसी स्थिति पर ठाकर राम ने छुट्टी देने की मांग की। पर ठाकर राम की एक ना सुनी गई और मना कर दिया। मायूस होकर ठाकर राम घर पहुंचा तो रात को 9:30 बजे जब लोकेश मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया तो विधालय प्रशासन ने फोन पर ठाकर राम को बताया, तो परिजन जैसे तैसे आधे घंटे में विधालय पहुंचे फिर बच्चे को सरकारी अस्पताल ले गए, जहां पहले से ही लोकेश की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। विधालय में मासूम लोकेश कुमार की हुई सन्देहास्पद मौत को लेकर परिजनों ने पुलिस में मामला दर्ज कराया है और कारवाई की मांग की है। उक्त सभी घटनाक्रम को देखते हुए इसमें विधालय प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर नजर आ रही है। विधालय प्रशासन का कहना है कि चिकित्सा वार्ड में वेंटिलेटर नहीं है जबकि पीएमओ का कहना है कि वेंटिलेटर सही है। दूसरी बात यह है कि जब मृतक छात्र लोकेश की तबीयत बिगड़ रही थी तो उन्होंने परिजनों को सूचना क्यों नहीं दी ? तीसरी बात जब बच्चे ने विधालय में बनने वाले घटिया खाने की जानकारी दी और परिजनों ने अवगत कराया तो इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया ? इन सारी बातों से तो यही लगता है कि विधालय प्रशासन की घोर लापरवाही से कहीं और हादसे ना हो जाएं। इन सारे घटनाक्रम से विधालय प्रशासन की गैरजिम्मेदारी और लापरवाही ही उजागर होती हैं जो विधालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाती हैं। चिकित्सा विभाग की टीम की कार्रवाई में क्या सच निकलता है । दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है । यह तो भविष्य के गर्त में है। प्रशासन विधालय प्रशासन के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा या फिर समय की किताब के पन्नो में मासूम लोकेश की संदेहास्पद मौत का राज दफ़न हो कर दम तोड़ देगा।