भिलाई 17 नवंबर। वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया विश्लेषक एन.के. सिंह ने कहा कि मीडिया को टीआरपी बटोरने के लोभ से ऊपर उठकर जन सरोकार के मुद्दों पर जनता को जागृत करना चाहिए। जन सरोकार पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता सिंह ने कहा कि जब बजट जैसे जनता से जुड़े विषयों पर चर्चा का समय हो तो माइकल जैक्सन का नाच आदि दिखाकर टीआरपी बटोरने का कोई तुक नहीं बनता। इस्पात नगरी भिलाई में रविवार को ‘जन सरोकार मंच’, ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया’, और ‘छत्तीसगढ़ आज तक’ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यशाला में वक्ताओं ने राजनीति, शासन- प्रशासन और मीडिया में आई गिरावट पर चिंता व्यक्त की। वक्ताओं ने कहा कि जन सरोकार के प्रति खुद जनता की जागृति ही देश में बदलाव लाएगी। कार्यशाला को एनयूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मलिक, दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार एवं एनयूजे के नेता मनोहर सिंह, डीजेए दिल्ली पत्रकार संघ के महासचिव और जनसत्ता के पत्रकार अमलेश राजू, गुजरात के राज बसोया अंबेडकरवादी विचारक विजय प्रताप कश्यप, जस्टिस गोवाल सहित कई अन्य लोगों ने संबोधित किया। कार्यशाला का संचालन जन सरोकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक सादात अनवर और धन्यवाद ज्ञापन छत्तीसगढ़ आजतक के संस्थापक संपादक लखन वर्मा ने किया। एनके सिंह ने कहा कि हिंदुस्तान बदला जा सकता है, लोगों में इसकी तड़प है, लेकिन समस्या यह है कि जन सरोकार के वास्तविक मुद्दों को तलाशा कैसे जाए? यह काम अपनी सोच सीधी करके ही किया जा सकता है।
उन्होंने तंज किया कि मीडिया- बच्चों के कुपोषण किसानों की बदहाली और मानव विकास के पैमानों पर देश की कमजोरी पर चर्चा करने के बजाए, मंदिर मस्जिद के विवाद जैसे अन्य भटकते मुद्दों पर लोगों को गुमराह करता है। एनयूजे अध्यक्ष अशोक मलिक ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हिवरे बाजार और पुणे जिले के मगरपट्टा इलाके के ग्रामीणों के विकास की कहानी का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता का विकास असल में जनता के हाथ में ही है। एनयूजे के ऋषिकेश कार्यकारिणी की बैठक में सकारात्मक समाचार को बढ़ावा देने का संकल्प लिया था ताकि समाज में आत्मविश्वास बढ़े. वरिष्ठ पत्रकार मनोहर सिंह ने कहा कि इमानदारी हो तो पत्रकारिता का मूल उद्देश्य समूची समाज व्यवस्था एवं जन सरोकार ही है। हमारे रिश्ते हर दूसरे व्यक्ति से जुड़े हैं और यही जन सरोकार का भाव है। जनसत्ता के पत्रकार अमलेश राजू ने कहा कि बीते दो दशक से जन सरोकार के मुद्दे पर लिखने का जो अनुभव रहा उसने उन्हें एक जन सरोकार बना दिया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता से जन सरोकार के मुद्दे गायब हो रहे हैं और यह देश समाज के लिए चिंता का विषय है आज की यह कार्यशाला देश में जन सरोकार पर इन लोगों को एकजुट करने में मील का पत्थर साबित होगी।