सलाहउद्दीन अयूबी की रिपोर्ट
इटली । ठंड में अक्सर सूरज नहीं निकलता है, जिस कारण हर कोई परेशान हो जाता है। लेकिन एक गांव में करीब 3 महीने सूरज की रोशनी नहीं आती थी, जिससे परेशान होकर गांव वालों ने अपना सूरज बना लिया । जानिए कहां का है मामला
पृथ्वी पर रहने वाले हर इंसान के लिए सूर्य और उसकी रोशनी बहुत जरूरी है । ठंड में सबसे ज्यादा इंसान को धूप की जरूरत होती है । हालांकि दुनिया के कई इलाकों में महीनो तक धूप नहीं आता है। लेकिन एक गांव ने इसका ऐसा उपाय निकाला, जिसके बारे में कोई आम आदमी नहीं सोच सकता है। दरअसल सूर्य की रोशनी पाने के लिए इस गांव के लोगों ने अपना आर्टिफिशियल सूरज ही बना डाला है।
कौन सा गांव ?
इटली एक गांव में सबसे बड़ी समस्या ये थी कि गांव में सूरज तो उगता था, लेकिन लोकेशन कुछ ऐसी थी कि गांव के किसी भी हिस्से तक धूप नहीं पहुंचत पाती थी। गांव में धूप नहीं पहुंचना इस गांव के लिए बड़ी समस्या बन गई थी। इस समस्या को दूर करने के लिए गांव वालों ने एक ऐसा जोगाड़ लगाया, जिसको देखकर हर कोई तारीफ कर रहा है। बता दें कि इस गांव का नाम विगनेला है, जो स्विट्जरलैंड और इटली के बीच स्थित है। यहां पर खासकर 11 नवंबर से 2 फरवरी के बीच सूरज की रोशनी बहुत कम हो जाती है।
विगनेला के मेयर ने जुटाई रकम..
दरअसल विगनेला गांव पहाड़ों के बीच बसा गांव है इसलिए यहां पर ढाई महीने सूरज की सीधी रोशनी नहीं पहुंच पाती। इसका नतीजा ये हुआ कि स्थानीय लोगों को साइबेरिया जैसा अनुभव होता था। इस गांव में 200 लोग रहते हैं. इसके बाद साल 2005 में विगनेला के मेयर पियरफ्रैंको मिडाली की मदद से करीब 1 करोड़ रुपये जुटाए गए थे, फिर गांव के सामने के पहाड़ पर बहुत बड़े शीशे को लगाने का काम शुरू किया गया था। इसके बाद गांव वालों ने नवंबर 2006 तक 40 वर्ग मीटर का एक शीशा पहाड़ के ऊपर लगा लिया था। इसका वजन करीब 1.1 टन था, इसे 1100 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया था। बता दें कि ये कंप्यूटराइज्ड शीशा पूरे दिन सूरज की चाल को फॉलो करता है और घूमता है। ऐसे में ये शीशा करीब 6 घंटे गांव के एक हिस्से को रोशन करता है। सूर्य की रोशनी मिलने के बाद लोगों के स्वभाव में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है।
कैसे आया विशालकाय मिरर का विचार..
1999 में विगनेला के आर्किटेक्ट जियाकोमो बोंजानी ने चर्च की दीवार पर एक धूपघड़ी लगाने का सुझाव दिया था। ये घड़ी सूर्य की स्थिति से समय बताती है. हालांकि तब के मेयर पियरफ्रेंको मिडाली ने सुझाव को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने बोंजानी से कुछ ऐसा बनाने को कहा, जिससे गांव में पूरे साल धूप रहे। यहां से बड़े आकार का शीशा लगाने की योजना पर काम होना हुआ था। हालांकि आर्टिफिशियल मिरर से मिलने वाली रोशनी प्राकृतिक धूप के बराबर गर्माहट तो नहीं देती, लेकिन मुख्य चौराहे को गर्म करने और घरों को रोशनी देने के लिए काफी है। बता दें कि इसके बाद 2013 में दक्षिण-मध्य नॉर्वे की एक घाटी में मौजूद रजुकन में भी ऐसा ही मिरर लगाया गया था ।