– आरबीएसके के तहत 394 बच्चों का हुआ इलाज
संजय सोनी की रिपोर्ट
अलीगढ़ । केस – 1 इगलास ब्लाक स्थित की काशमी का पैर जन्मजात मुड़ा हुआ था। तेज चलने में काफी तकलीफ रहती थी। सामान्य बच्चों की तरह का खेल भी नहीं पाती थी। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के जरिए बच्ची की समस्या चिन्हित हुई। फिर 29 अक्टूबर को उसका निःशुल्क ऑपरेशन हुआ। आज वह अन्य बच्चों की तरह खेलकूद पा रही है। पिता राजेश कुमार कौशिक ने कहा कि मुझे पूरी तरह सुविधा निःशुल्क मिली। मैंने स्वास्थ्य टीम की पूरी बात मानी। मैं सभी को धन्यवाद देता हूं।
केस – 2 जिले के अलीगढ़ स्थित जमालपुर मोहल्ले के तैमूर की उम्र चार वर्ष की है। इसके दोनों पैर जन्मजात टेढ़े थे। स्वास्थ्य विभाग की जानकारी में आने पर बच्चे का जिला चिकित्सालय में निःशुल्क ऑपरेशन हुआ। कुछ ही दिनों बाद बच्चा सामान्य बच्चों की तरह चल पा रहा है। हालांकि उसका मलखान सिंह जिला चिकित्सालय में अभी भी उपचार चल रहा है। पिता ने कहा कि यह सरकारी व्यवस्था हमारे बच्चे के लिए वरदान साबित हुई है। मैं सभी से अपील करूंगा कि किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या आने पर सरकारी अस्पताल पर अवश्य परामर्श लें। यह पूरी तरह निःशुल्क मिलती है।
काशमी और तैमूर तो सिर्फ उदाहरण हैं। ऐसे न जाने कितने बच्चे हैं जो सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से लाभान्वित हो रहे हैं। आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ. बीके सिंह राजपूत ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत 18 वर्ष तक बच्चों के जन्मजात विकृति का निःशुल्क इलाज व ऑपरेशन होता है। पैर की विकृति यानि क्लब फुट दूर करने के लिए इंडिया मिरेकल फिट सहयोग कर रही है। उन्होंने बताया कि यह सुविधा जेएन मेडिकल कॉलेज व मलखान सिंह जिला चिकित्सालय एवं दीनदयाल जिला संयुक्त चिकित्सालय में बिल्कुल निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।
डीईआईसी मैनेजर मुनाजिर हुसैन ने बताया कि वर्ष 2018 से 2022 तक 394 बच्चों के टेढ़े मेढे पैरों का निःशुल्क इलाज किया गया। इसमें 240 बच्चों का जिला चिकित्सालय और 147 बच्चों का डीडीयू अस्पताल में हुआ।
मलखान सिंह जिला चिकित्सालय अस्पताल के डॉ. तुफैल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि जन्म के समय स्क्रीनिंग के दौरान पता चलने पर इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू हो जाए, ठीक होने की संभावना उतना ही ज्यादा होती है। वहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला संयुक्त चिकित्सालय के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एसके उपाध्याय ने बताया कि क्लब फुट बीमारी में बच्चों के पैर जन्मजात टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। सही समय पर इसका इलाज न हो तो बच्चा जीवन भर के लिए दिव्यांग हो सकता है।