जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जिसमें किसानों ने अपनी की मांग पूरी करने के सरकार से अपील की
ठाकुर धर्म सिह ब्रजवासी की रिपोर्ट
मथुरा । उत्तर प्रदेश की कृषि की मुख्य समस्याओं का समाधान सरकार के प्रयास के बावजूद भी नही हो पा रहा है। जिसका मुख्य कारण जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वन में ही लापरवाही है। उत्तर प्रदेश में कृषि में सार्वजनिक निदेश में गिरावट, परिवहन, भंडारण, विपणन की समस्या, कृषि विविधीकरण का अभाव, कृषि ऋण के लिए बड़ी संख्या का असंगठित क्षेत्र पर निर्भर होना, नवीन तकनीकी का अभाव, अनुसंधान का खेत तक न पहुंचना, निम्न उत्पादकता आदि के कारण कृषि क्षेत्र को लाभकारी पेसा नही दिया जा सका है।
आगे बताते हुए कहा उत्तर प्रदेश की दो मुख्य फसलें गन्ना और धान है। वर्तमान में दोनो फसलों के किसान चुनौतियों का सामना कर रहे है। धान की तैयार फसल के समय बारिश से धान की फैसले बर्बाद हो गई है, क्रय केंद्र पर गुणवत्ता का बहाना कर फसल बेचने में काफी परेशानी हो रही है। गन्ने में बीमारी के कारण फसल की उत्पादकता में 40% कमी की संभावना है।
कुछ चीनी मिल समूहों के द्वारा भुगतान न किए जाने के कारण भी कई जनपदों में किसान परेशानियों का सामना कर रहे है। उत्तर प्रदेश
में इस बार किसानों के सामने भारी समस्या है भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक दिनांक 2 नवंबर 2022 को उत्तर प्रदेश में जिला मुख्यालयो पर आयोजित धरना प्रदर्शन के माध्यम से सरकार से निम्न समस्याओं के समाधान की मांग करती है
1- गन्ना किसानों की उत्पादन लागत में वृद्धि को देखते हुए भारत सरकार द्वारा भी गन्ने के एफआरपी में वृद्धि की
गई है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी महंगाई के अनुपात में गन्ने का मूल्य 400 रू कुंतल तय किया जा
2- किसानो को धान बेचने में आ रही समस्याओं के कारण उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद केवल 1 फीसदी हुई है।
धान खरीद में तेजी लाई जाय। मंडी से बाहर अवैध खरीद पर रोक लगाते हुए कानूनी कार्यवाही की जाय
3- किसानो को खेत में टेक्टर ट्राली से मजदूर व आसपास तक घरेलू कार्य में भी उपयोग करना पड़ता है। ट्रेक्टर ट्राली
4- उत्तर प्रदेश के किसानों पर इस बार सुखा व अतिवृष्टि की दोहरी मार
के व्यवसायिक उपयोग के नियामन पर किसानो के हितों का ध्यान रखते हुए इससे किसान को बाहर किया जाय
वृद्धि के साथ-साथ फसल बर्बाद हई है। किसानो को भरपाई हेतु बिजली बिल में छूट, कृषि त्रराहत, सरकारी देय पर रोक, फसल की बुवाई हेतु निशुल्क बीज दिए जाने जैसे जरूरी कदम उठाए जाय पड़ी है। जिसके कारण उत्पादन लागत में ऋण में ब्याज की राहत हो।