मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने में पूर्ण सहायक संस्थागत प्रसव
रेनू शर्मा की रिपोर्ट
बुलंदशहर। सुरक्षित संस्थागत प्रसव बेहद ज़रूरी है। संस्थागत प्रसव कराने से शिशु व मातृ मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। संस्थागत प्रसव नहीं कराने से जच्चा और बच्चा दोनों के संक्रमण की चपेट में आ जाने का खतरा रहता है। सुरक्षित प्रसव कुशल चिकित्सक और कर्मचारियों की देखरेख में सरकारी अस्पतालों में कराना ही सही होता है।
कस्तूरबा गांधी जिला महिला अस्पताल अधीक्षक डा. ज्योत्सना कुमारी ने बताया हम सभी गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव कराने की सलाह देते हैं। संस्थागत प्रसव का मुख्य उद्देश्य मातृ और शिशु मृत्यु दर को रोकना है। उन्होंने कहा पहले घरों में प्रसव होते थे जो जच्चा बच्चा के लिए सुरक्षित नहीं होते थे। इससे दोनों की जान को खतरा रहता था। संस्थागत प्रसव से किसी भी खतरे को समय रहते पहचाना जा सकता है। सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलायी जा रही हैं।
जननी सुरक्षा योजना
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील कुमार ने बताया राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत यह योजना केंद्र सरकार द्वारा सन 2005 में शुरू की गयी थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना है। इस योजना के अंतर्गत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिये जाते हैं। गर्भवती महिला के पंजीकरण से लेकर प्रसव तक आशा कार्यकर्ता की मुख्य भूमिका होती है। योजना के अंतर्गत मुफ्त एंबुलेंस सेवा, मुफ्त खाना, मुफ्त सी सेक्शन ऑपरेशन, मुफ्त में खून चढ़ाना आदि शामिल है। उन्होंने बताया जो भी महिला सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए आती है वह स्वयं ही जननी सुरक्षा योजना के लिए पात्र हो जाती है।
बुलंदशहर की पहासू निवासी रजनी देवी ने बताया अगस्त में जब उनका बच्चा पैदा हुआ तो अस्पताल में उन्हें दवा से लेकर खाना तक सब मुफ्त में उपलब्ध हुआ है। यहां तक कि प्रसव पीड़ा होने पर उन्हें एंबुलेंस सरकारी अस्पताल लेकर आई। इसका उनसे कोई शुल्क नहीं लिया गया।