नागपाल शर्मा की रिपोर्ट
(अलवर राजस्थान):-अलवर जिले की रैणी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत गढ़ीसवाईराम कस्बे में स्थित सीतारामजी के मदिर के सामने बने रामलीला मैदान मे चल रही रामलीला मे शनिवार रात्रि को दशरथ मरण व राम-भरत मिलाप के मार्मिक संवादो को सुनने श्रोता देर रात तक डटे रहे। राम लक्ष्मन के वन गमन के बाद सुमंत के द्वारा बार बार आग्रह करने के बाद भी राम लक्ष्मन के घर वापिस न आने का समाचार सुन कर अवध नरेश राजा दशरथ विचलित होकर कहते है ।
वन गमन था एक को,दो और सिधारे जाते है। क्यों नहीं निकलते पापी प्राण जब प्राण प्यारे जाते है।। पर लोक मे परमार्थ चलता है,दुनिया मे स्वार्थ चलता है। बस्ती के बाहर रथ चलता, दशरथ महलो से चलता है। ये कहते हुए राजा दशरथ प्राण त्याग देते है। उधर भरत के ननिहाल से आने पर माता कैकई से भैया राम व पिताजी के कुशलता के समाचार पूछे जाने पर राम के बनवास जाने व पिता दशरत का स्वर्गवास होने की खबर से भरत विचलित हो गये ।
और अपने आंसुओ को नहीं रोक पाये और माता कैकई से कहने लगे हे दुष्टा जब तू ने राम के लिए बनवास मांगा उस समय तेरी जिव्या कयो नहीं टूट गई और उनको वन जाते देख तेरी दोनो ऑखे कयूं नहीं फूट गई। भरत जी जब वन मे भगवान राम से मिलने जाते है तब भरत जी के आग्रह पर अपने पैरो से पावरी उतार कर देते है और भरत जी उन्हे माथे से लगा कर सिर पर रख लेते है और कहते है जब तक आप नहीं आवोगे तब तक सिंघासन पर आपकी पादुका रख कर राज चलाउंगा। इस अवसर पर कस्बे सहित आस-पास के गॉवो से रामलीला देखने के लिए महिला पुरूषो का सैलाब उमड़ रहा ।