– अस्पताल में लगे बोर्ड पर चिकित्सकों के नाम के साथ लिखा जाएगा मोबाइल नम्बर भी
रेनू शर्मा की रिपोर्ट
बुलंदशहर। प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसे में सरकार ने एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसेक तहत अब जनपद के सभी सरकारी अस्पताल, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी-सीएचसी) पर तैनात चिकित्सकों का ब्योरा डिस्प्ले बोर्ड पर लिखना होगा। कितने चिकित्सक अस्पताल में वर्तमान में मौजूद हैं, यह भी बताना होगा।
यही नहीं चिकित्सकों के मोबाइल नंबर भी डिस्प्ले बोर्ड पर अंकित करने होंगे। येलो (पीले) डिस्प्ले बोर्ड पर लाल रंग से लिखा जाएगा। इस संबंध में निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (प्रशासन) डा. राजा गणपति की ओर से प्रदेश के सभी सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ), मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों (सीएमएस) को पत्र भेजा गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विनय कुमार सिंह ने बताया- प्रदेश के निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (प्रशासन) के निर्देश पर जनपद के समस्त सामुदायिक प्राथमिक, स्वास्थ्य केंद्रों पर डिस्प्ले बोर्ड तैयार कराये जा रहे हैं, जिस पर अस्पताल में तैनात चिकित्सकों के नाम के साथ मोबाइल नंबर भी लिखे जाएंगे।
जिससे कोई भी मरीज सरकारी अस्पताल से बिना उपचार के वापस न लौटे, इसके प्रयास किये जा रहे हैं। किस अस्पताल में कितने चिकित्सक तैनात हैं इसकी जानकारी भी डिस्प्ले बोर्ड के माध्यम से लोगों को मिलती रहेगी। उन्होंने बताया- सभी सीएचसी, पीएचसी व यूपीएचसी प्रभारियों को आदेश का पालन करने के निर्देश दे दिये गये हैं।
सीएमओं ने बताया शासन की ओर से भेजे गये पत्र में स्पष्ट बताया गया है कि किस स्वास्थ्य केन्द्र पर किस साइज का डिस्प्ले बोर्ड बनाया जाएगा और उस पर क्या-क्या सूचना अंकित होंगी। डिस्प्ले बोर्ड पर चिकित्सक का नाम, पद, कक्ष संख्या, ड्यूटी का टाइम व फोन नम्बर लिखना होगा। तय मानक के अनुसार पीएचसी पर चार गुणाचार का डिस्प्ले, सीएचसी पर छ: गुणा चार का डिस्प्ले , जिला अस्पताल और सीएमओ कार्यालय में दस गुणा चार का, जिला महिला चिकित्सालय में छह गुना चार का डिस्प्ले बोर्ड लगाना होगा।
डा. सिंह ने बताया जनपद के सरकारी अस्पतालों में दी जा रही सुविधाओं का डिस्प्ले बोर्ड पहले से होता है, लेकिन चिकित्सकों के मोबाइल नम्बर अंकित नहीं होते थे। शासन के आदेश के बाद इस पर अमल शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया -सरकार का यही प्रयास है, कि कोई भी मरीज अगर सरकारी अस्पताल में जा रहा है, तो उसे समुचित उपचार मिलना चाहिए। अगर वहां पर उपचार न मिले तो उसे निराशा होती है।