ठाकुर धर्म सिह ब्रजवासी की रिपोर्ट
वृन्दावन। दावानल कुंड क्षेत्र स्थित उड़िया बाबा आश्रम में ज्योतिष एवं द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की श्रद्धांजलि सभा संपन्न हुई। अखंडानंद आश्रम के स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज व डॉ. गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज धर्म व अध्यात्म जगत के प्रमुख स्तंभ थे।
उनके न रहने से इस क्षेत्र की जो क्षति हुई है,उसकी भरपाई हो पाना अत्यंत कठिन है। ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज समन्वयवादी संत थे।उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर भाग लिया।साथ ही कई वर्ष तक जेल यातना सहने के बाद भी अपने उद्देश्य पर दृढ़ संकल्पित रहे।
भागवताचार्य आचार्य रामविलास चतुर्वेदी व आचार्य बद्रीश महाराज ने कहा कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने गौरक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया।साथ ही गौमाता के संरक्षण व पालन-पोषण के लिए अनेक कार्य योजनाएं बनाईं।भारत सरकार को महाराजश्री को भारत गौरव की उपाधि से अलंकृत किया जाना चाहिए।
उमाशक्ति पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज व भागवताचार्य मृदुलाकांत शास्त्री ने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे सनातन धर्म के सर्वोच्च पद पर आसीन, दो पीठों के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिवलोक गमन पर देश में राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया गया।जबकि इस देश में किसी अन्य देश की महारानी व अरब के राजा के निधन पर राष्ट्रीय शोक घोषित हो चुका है।
महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज व स्वामी महेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद महाराज अनेकानेक सद्गुणों की खान थे।यदि हम लोग उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें तो निश्चित ही हमारा कल्याण हो सकता है।
राष्ट्रीय ब्रह्म कीर्ति रक्षक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित जुगेंद्र भारद्वाज व प्रदेश उपाध्यक्ष पंडित वीरपाल मिश्र ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सनातन धर्म के सशक्त प्रचारक व प्रसारक थे।उन जैसी विभूतियों से ही पृथ्वी पर धर्म व अध्यात्म का अस्तित्व है।
उड़िया बाबा आश्रम के प्रभारी पंडित कुलदीप दुबे व युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सहजता, सरलता, उदारता व परोपकारिता की प्रतिमूर्ति थे।उन्होंने अध्यात्म के अलावा अन्य सामाजिक विषयों पर भी समाज का दिशानिर्देशन किया।
इस अवसर पर अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश कौशिक, पंडित कपिलदेव उपाध्याय, संत सेवानंद ब्रह्मचारी,चित्रकार द्वारिका आनंद,जयगोपाल शास्त्री, गोविंद शरण व्यास, धर्मवीर शर्मा, चंदन शर्मा,खैमचंद्र पाठक,मदन गोपाल बनर्जी, रवि शर्मा,योगी योगाचार्य दास, कौशिक महाराज,श्रीनिवास पाण्डेय,बालमुकुंद तिवारी (साधना टीवी चैनल), जुगल किशोर शर्मा, देवेंद्र शर्मा, संजय शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त कर महाराजश्री को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।संचालन आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने किया।धन्यवाद ज्ञापन उड़िया बाबा आश्रम के प्रभारी पंडित कुलदीप दुबे ने दिया।