कुपोषण के शिकार बच्चों को भेजा जाता है पोषण पुनर्वास केंद्र
नीरज जैन की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद । राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत जिले के 1752 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गुरूवार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों का वजन व लम्बाई माप कर वजन दिवस मनाया गया l इस मौके पर शून्य से पाँच वर्ष तक के बच्चों का उम्र के हिसाब से वजन, लम्बाई के हिसाब से वजन तथा उम्र के हिसाब से लम्बाई का माप कर कुपोषित, अतिकुपोषित और सामान्य बच्चों का चिन्हांकन किया गया | इसके साथ ही बच्चों के साथ आये माता-पिता को पोषाहार का वितरण किया गया साथ ही उनको पोषाहार बच्चों को किस प्रकार खिलाना यह जानकारी भी दी गई l पौष्टिक आहार, एनीमिया व डायरिया से बचाव तथा साफ़-सफाई के बारे में जानकारी दी गयी ।
इसी क्रम में ब्लॉक बढ़पुर के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय जखा में आंगनवाड़ी केन्द्र पर वजन दिवस मनाया गया । जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) भारत प्रसाद ने बताया कि वजन दिवस के दौरान बच्चे का वजन और लंबाई की माप कर पता लगाया जाता है कि बच्चा कुपोषण का शिकार तो नहीं है । इसके साथ ही लंबाई नापने से पता चलता है कि बच्चा कहीं बौनेपन से ग्रसित तो नहीं है । ऐसे बच्चों को डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज के लिए भेजा जाता है ।
डीपीओ ने बताया कि जब बच्चे को पोषण युक्त आहार मिलेगा तभी वह कुपोषण को मात दे सकता है l इसलिए जरूरी है बच्चा जब छह माह का हो जाए तो उसको स्तनपान के साथ ही ऊपरी आहार भी देना चाहिए । बढ़पुर ब्लॉक की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) सुनीता उपाध्याय ने बताया कि बच्चों में बौनापन कुपोषण की पहचान होती है। बच्चों में उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढने से बौनापन होता है। इसको ध्यान में रखते हुए वजन दिवस का आयोजन किया गया। उम्र के अनुसार बच्चों का सही वजन जरुरी होता है। जन्म के समय जिन बच्चों का वजन दो किलोग्राम से कम रहता है , उन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
सीडीपीओ ने बताया कि अगस्त माह में मनाए गए वजन दिवस के दौरान ब्लॉक बढ़पुर में 17763 बच्चों का वजन किया गया जिसमें से 17331 बच्चे सामान्य श्रेणी में, 346 बच्चे कम वजन के तो वहीं और 86 बच्चे अल्प वजन के मिले । इस दौरान याकूतगंज की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ऊषा ने बताया कि बच्चे को शुरू के छह माह तक सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए । मां के दूध में कोलस्ट्रम होता है जो बच्चे के विकास की लिए बहुत जरूरी होता है ।
जखा के रहने वाले दो वर्षीय विपिन की मां ने कहा कि इस तरह हर माह वजन लेने से हमें पता चल जाता है कि मेरा बेटा कहीं कमजोर तो नही हो रहा है । इसी गांव की रहने वाली 1 वर्षीय सुप्रिया की मां ने बताया कि मेरी बच्ची का वजन किया गया और पोषाहार भी दिया गया । साथ ही बताया कि बच्चे को ऊपरी आहार कितना जरूरी 4यह जानकारी भी दी गई ।
क्या कहते हैं आंकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019 – 21) के अनुसार, जिले में छह से 23 माह के 14.8 % बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है । पांच वर्ष तक के 47.8% बच्चे ऐसे हैं जिनकी लंबाई, उनकी आयु के अनुपात में कम है, 14.3 % बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुपात में कम है तथा 31.1 % बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी आयु के अनुपात में कम है, वहीं पांच वर्ष तक के 77.1 % बच्चों में खून की कमी पायी गयी । इस दौरान आंगनबाड़ी सहायिका और लाभार्थी मौजूद रहे ।