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सुबह सवेरे ही अपने लेखन से जुड़ जाते हैं कवि प्रेम किशोर पटाखा

 

 

घर पर रहकर नई नई कविताएं लिख रहे हैं

अलीगढ़, जनपद के वरिष्ठ हास्य व्यंग्य कवि एवं बाल साहित्यकार प्रेम किशोर पटाखा‌ घर पर रहकर अपने समय को किस तरीके से व्यतीत कर रहे हैं यह उन्होंने बताया कि सुबह सवेरे ही अपने लेखन से जुड़ जाते हैं। वे ज्यादातर समय अपने लेखन में और पुस्तकें पढ़ने में बिता रहे हैं। उन्होंने लोंगो को राय दी कि हर समय मोबाइल देखने से अच्छा है कि कुछ समय पुस्तकों को पढ़ें जिससे आपमें नवीन ज्ञान की वृद्धि होगी। अपनों के साथ समय बिताने का इससे अच्छा समय नहीं मिलेगा। कवि पटाखा ने बताया कि वे इन दिनों अपने प्रपोत्र को अपनी लिखी हुई कहानियां तथा बाल कविताएँ सुनाते हैं। इन दिनों हास्य- व्यंग्य तथा बाल साहित्य की कई नवीन कविताऐं लिख रहें हैं, उन कविताओं को बहुत जल्दी एक पुस्तक का रूप देंगे जो इनकी 77 वीं पुस्तक होगी। आपको बता दें कि कवि पटाखा की 76 वीं पुस्तक का लोकार्पण इसी वर्ष अलीगढ़ मंडलायुक्त के द्वारा किया गया था। पटाखा जी इन दिनों अपनी रामकथा की तैयारी में भी हैं। पिछले दिनों उन्हें चित्रकूट की यात्रा करनी थी जो स्थगित हो गई। कई विद्यालयों में भी उनके कार्यक्रम थे वह भी स्थगित हो गए। उनके संयोजन में एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भी आयोजन 10 अप्रैल को होना था उसे भी स्थगित कर दिया गया । उनका मानना है कि वह हर क्षण जो हमें मिला है ईश्वर का प्रसाद है। ऐसे संकट के समय में हमें ईश्वर से आराधना करनी चाहिए और विश्वास करना चाहिए कि समय सब ठीक कर देगा और इस दुख की घड़ी को समय अपने साथ पीछे धकेल कर ले जाएगा। कवि पटाखा मानते हैं कि हमारा अपना हौसला ही हमारी संजीवनी है। समय गतिमान है। अपनी पंक्तियों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए वे कहते हैं-

व्यर्थ नहीं चिंता करो, पकड़ो उसकी डोर,
समाधान मिल जाएगा, प्रभु चिंतन की ओर।

इस समय को चिंतन से जोड़ें, प्रभावी पुस्तकों से मन लगाएं और सकारात्मकता ऊर्जा अपने अंदर जगाऐं। आज के समय में 21 दिन के लॉकडाउन 21 तोपों की सलामी देनी चाहिए। अवश्य ही कोरोनावायरस कि यह सुनामी हार जाऐगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस लॉकडाउन को सराहा है। कवि पटाखा के मुताबिक लॉकडाउन का अर्थ है कि-

‘आप जहां पर भी रहे करलें खुद को बंद,
सबसे अच्छी जगह है करिए घर आनंद,
करिए घर आनंद विश्व की यह महामारी,
इससे मुक्ति दिलाऐगी संकल्प शक्ति हमारी।
कहे पटाखा फिर इसमें कैसी मजबूरी,
रखना इसका ध्यान बनाकर रखना दूरी ।

कवि पटाखा‌ ने सभी से आग्रह करते हुए कहा है कि वह इस वायरस से बचने के लिए सावधानियां जरूर बरतें। जितना हो सके घर में ही रहे और अगर किसी कारणवश घर से बाहर निकलना भी पड़ रहा है तो मास्क लगाकर जाए घर में आते वक्त हाथ जरूर धोएं और कहीं भी रहे एक उचित दूरी बनाकर रखें।

अलीगढ़ से उप
संपादक शशि गुप्ता
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