झाँसी में भारतीय नागरिक परिषद ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती का आयोजन किया
News Editor
झाँसी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एकात्म मानववाद विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए संसद सदस्य डॉ अशोक बाजपेई ने कहा कि कालातीत व्यक्तित्व था पंडित दीनदयाल उपाध्याय का ।वह वर्तमान राजनीति के चाणक्य तो थे ही किंतु बेहद सरल व्यक्ति के थे। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी राष्ट्र के उन गिने-चुने नेताओं में थे जो जनता की निष्काम सेवा और आडंबर हीनता के लिए विख्यात थे। वे उस दीप की तरह जीवन भर जलते रहे जो दूसरों का पथ आलोकित करता है। वैसे तो समय के साथ साथ सभी रिक्तिया भर जाती हैं किंतु पंडित दीनदयाल उपाध्याय के रिक्त स्थान को भारतीय राजनीति आज तक नहीं भर पाई ।यह रिक्तता ऐसे समय में उत्पन्न हुई जब देश को उनकी सर्वाधिक जरूरत थी। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी ने राजनीति में रहते हुए भारत की आत्मा को पहचानने और और तदनुरूप भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था को ढालने का बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य किया। उपाध्याय जी कहते थे कि भारत की आत्मा को समझना है तो उसे राजनीति के चश्मे से नहीं अपितु सांस्कृतिक दृष्टि से देखना होगा। भारतीयता की अभिव्यक्ति राजनीति के द्वारा ना होकर उसकी संस्कृति के द्वारा होगी। उपाध्याय जी हमारे बीच में नहीं है किंतु उनका दर्शन सदैव हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहेगा। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रदत एकात्म मानववाद का दर्शन आज भी पूरी तरह
प्रासंगिक है और सही मायने में भारत की आम जनता की समस्याओं का समाधान एकात्म मानववाद के दर्शन मे ही है। एकात्म मानववाद अर्थात व्यक्ति को इकाई मानकर उत्थान की योजना बनाना अंत्योदय का यही मंत्र भी कारगर है। अंत्योदय अर्थात समाज के आखिरी पायदान पर खडे व्यक्ति का उत्थान।यदि हम आखिरी पायदान पर खड़े समाज के सबसे पिछड़े व्यक्ति को ऊपर उठा सकते हैं तो स्वाभाविक तौर पर पूरे समाज का उत्थान हो जाता है। यही अंत्योदय एकात्म मानववाद का दर्शन है जो आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक है। उन्होंने कहा की पंडित दीनदयाल उपाध्याय का चरैवेति चरैवेति का सिद्धांत हमें हमेशा गतिशील रहने की प्रेरणा देता है। दीनदयाल जी कहा करते थे जो राह का डर बता कर न चलने की सलाह देते हैं उनकी मत सुनिए । वे कहते थे गलत राह पर भी चल लिए तो कुछ नहीं बिगड़ेगा पर चलने की शक्ति जाती रही तो ढूंढ बनकर रह जाएंगे। के संदर्भ में उनसे प्रेरणा लेते हुए चुनौतियों के बीच हमें अपनी राह बनानी होगी। दृढ़ निश्चय के साथ हम जिस ओर चल देंगे वही रास्ता बन जाएगा। भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री ,संस्थापक न्यासी रमाकांत दुबे और महामंत्री रीना त्रिपाठी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि रक्त में लथपथ उस महान मार्गदर्शक को क्या हम मात्र अश्रुओं और पुष्पों से ही श्रद्धांजलि देकर संतोष पा लेंगे ।जब तक उन राष्ट्रघाती क्रूर कर्मा नर पिशाचों के रक्त से इस कलंक का परिमार्जन नहीं होता और पंडित जी के सपनों का भारत साकार नहीं हो जाता तब तक देश विश्राम नहीं लेगा। उस समय तक यह आग्नेय स्पंदन हमारे रक्त प्रवाह में जीवित जागृत और सतत प्रवाह मान रहेंगे।