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मारवाह स्टूडियो में आयोजित ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल का तीसरा दिन रहा शानदार

साहित्य ज्ञान के संयोजन की एक ऐसी कला है , जिसके माध्यम से यथावत जानकारियां समाज तक संप्रेषित की जा सकती हैं।

नोएडा के सेक्टर 16 में स्थित मारवाह स्टूडियो ने तीन दिवसीय ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल का शानदार समापन हुआ। आज तीसरा दिन साहित्य और समाज के बीच संबंधों पर विशेष रूप से चर्चा हुई, साथ ही साहित्य के महत्व को भी दर्शाया गया।

मारवाह स्टूडियो के संस्थापक एवं ICMEI के प्रेसिडेंट संदीप मारवाह ने कहा कि साहित्य समाज को यथार्थ रूप में दर्शाने का सबसे अच्छा और सरल माध्यम है। साहित्य के द्वारा हम किसी भी देश की सभ्यता संस्कृति आर्थिक सामाजिक राजनीतिक सभी प्रकार की दशाओं को जान सकते हैं, समझ सकते हैं। साहित्य में वह शक्ति है जो समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। दुनिया में कई ऐसे साहित्यकार हुए हैं जिन्होंने देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में क्रांति फैलाई है और साहित्य की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं। हमें साहित्य के महत्व को समझना चाहिए, और साहित्य के प्रति रुचि भी जगानी चाहिए।

ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल में देश- विदेश के मेहमानों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराई। और साहित्य के वर्तमान महत्व को जाना। इस कार्यक्रम में आईसीएमइआइ के प्रेसिडेंट संदीप मारवाह, उज़्बेकिस्तान के एंबेसडर फरहाद अर्जियेव, प्रसिद्ध डायलॉग राइटर आनंद एस वर्धन, प्रसिद्ध फिल्म लेखक गंगा प्रसाद विमल, कुमकुम चंधा, कार्यक्रम डायरेक्टर सुशील भारती सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि अगर कल्पना को आकार देना है तो शब्दों के माध्यम से साहित्य को आकार देना ही पड़ेगा। अर्थात बिना लिखे हम कुछ नहीं कर सकते।
इस कार्यक्रम में शामिल हुए कई प्रसिद्ध फिल्म लेखकों ने बताया कि लिखने के लिए डूब जाना पड़ता है, उसमें लीन होना पड़ता है तभी हम साहित्य से समाज की मनोदशा को प्रभावित कर सकते हैं।

अफ्रीका से आए महानुभाव ने कहा कि भारत और अफ्रीका का सांस्कृतिक और साहित्यक संबंध बहुत गहरा है । साहित्य से एक दूसरे के प्राचीन संबंधों को भी जानने का अवसर मिलता है।

कार्यक्रम में युगदृषटा सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का पोस्टर भी लॉन्च किया गया। और अन्त में सभी मेहमानों को सर्टिफिकेट और मौमेंटो देकर सम्मानित किया गया। और इस कार्यक्रम में सबका ध्यान अपनी तरफ खींचने वाला वाक्य यह रहा है कि आईसीेएमईआई के प्रेसिंडेट संदीप मारवाह जी के लिए एक किताब लिखी गई और उनके हाथों से इसी मंच पर एक सरप्राइज के तौर पर विमोचन कराया गया जिससे संदीप मारवाह काफी प्रसन्न और भावुक हो गये थे।

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