अलीगढ़ क्वार्सी क्षेत्र के जीवनगढ़ ज़ाकिर नगर स्तिथ बंगाली बाबू(कमर अब्बास) के आवास पर रविवार को अलम उठाये।हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हसन हुसैन की याद में शानू अब्बास व शाहनवाज ने आठवीं तारीख को उठाये अलम।पन्नू व हैदर ने सूजखानी पड़ी नोहे आज़म हुसैन ने पड़े व हदीस राजू उर्फ राशिद हुसैन ने सुनाई।उन्होंने कहा इराक में यजीद नामक जालिम बादशाह था जो इंसानियत का दुश्मन था।हजरत इमाम हुसैन ने जालिम बादशाह यजीद के विरुद्ध जंग का एलान कर दिया था।मोहम्मद-ए-मुस्तफा के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला नामक स्थान में परिवार व दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था। जिस महीने में हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था वह मुहर्रम का ही महीना था। उस दिन 10 तारीख थी, जिसके बाद इस्लाम धर्म के लोगों ने इस्लामी कैलेंडर का नया साल मनाना छोड़ दिया। बाद में मुहर्रम का महीना गम और दुख के महीने में बदल गया।इस्लाम की तारीख में पूरी दुनिया के मुसलमानों का प्रमुख नेता यानी खलीफा चुनने का रिवाज रहा है। ऐसे में पैगंबर मोहम्मद साहब के बाद चार खलीफा चुने गए। लोग आपस में तय करके किसी योग्य व्यक्ति को प्रशासन, सुरक्षा इत्यादि के लिए खलीफा चुनते थे। जिन लोगों ने हजरत अली को अपना इमाम और खलीफा चुना, वे शियाने अली यानी शिया कहलाते हैं। शिया यानी हजरत अली के समर्थक।मुहर्रम माह के दौरान शिया समुदाय के लोग मुहर्रम के 10 दिन काले कपड़े पहनते हैं।इस अवसर पर शान मोहम्मद, कासिम,रईस उल नक़वी,अजहर हुसैन,दानिश रिजवी,सकलैन आदि मौजूद रहे।
संवाददाता
अक्षय कुमार गुप्ता