कांटैक्ट मटके में घर पर ही सूखा कचरा इकट्ठा कर बनाएं पौधों के लिए खाद
News Editor
मध्य प्रदेश देवरी कलां कचरे के काबनिक पदार्थों को खुले स्थानों पर न फेंककर विभिन्न विधियों के जरिए उसे खाद में बदलने का कार्य भी कचरा प्रबंधन के तहत आता है। ऐसी ही एक विधि है मटका कम्पोस्टिंग जिसमें कचरे को मटके में रखकर खाद तैयार की जाती है। यह विधि घरों-घर कारगर हो इसके लिए नगर पालिका परिषद द्वारा महिलाओं को प्रेरित करने की पहल रंग ला रही है। सीएमओ सी पी राय तथा स्वच्छता उप निरीक्षक अनीशा कुरैशी ने बताया कि यदि प्रत्येक घर में मटके से मिट्टी की महक वाला खाद बनाया जाने लगे तो डंप साइट पर कचरे की मात्रा घटेगी। साथ ही कचरे का उचित प्रबंधन भी होगा। इच्छुक नागरिक जानकारी के लिए कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
यह है कि प्रक्रिया नगर परिषद में स्वच्छता उप निरीक्षक अनीशा कुरेशी ने बताया कि मटका कम्पोस्टिंग के लिए सूखी पत्तियां, धूल-मिट्टी, कागज, बचे-खुचे फल, सब्जियों का फेंका जाने वाला कचरा, दही और थोड़ा सा पानी उपयोगी होता हैं। मटके में ऊपर की ओर तीन से चार इंच छोड़कर गोलाई में पांच से सात छेदकर मटके में अनुपयोगी कागजी कतरन डालकर सब्जी, फल आदि के छिलके डाले जाएं व इसके ऊपर पांच से सात छोटी चम्मच मठा या दही डाला जा सकता है। फिर कचरे को सूखे पत्तों व मिट्टी से ढांंकें तथा मटके पर ढक्कन की तरह कपड़ा बांध दें। सप्ताह में एक बार मटका खोलकर सामग्री को लकड़ी से पलटा जाए। करीब दो माह में मिट्टी की महक वाला खाद तैयार हो जाता है। इंडोर व आऊटडोर दोनों प्रक्रिया कचरे को मटके में रखकर खाद में बदलने की प्रक्रिया घर के अंदर तथा बाह
दोनों ही स्थानों पर की जा सकती है। सीएमओ सी पी राय का कहना है कि गीले कचरे के उपयोग से खाद बनाने की प्रक्रिया बगीचे या बरामदे में की जाए तो बेहतर होगा, क्योंकि यहां मटके को धूप भी मिलती है, तथा इसके जरिए उचित तापमान के साथ कम समय में ही खाद बन जाता है। जबकि सूखे कचरे की अधिक मात्रा के साथ इंडोर पद्धति से भी मटके में खाद तैयार की जा सकती है। राजपूत के अनुसार यदि कोई इस प्रक्रिया को अपनाना चाहता है तो इसके लिए नप में संपर्क किया जा सकता है, ताकि घर पहुंचकर प्रक्रिया का डिमांस्ट्रेशन भी दिया जा स्वच्छता अभियान चलाया स्वच्छता अभियान जवाहर बाड़मेर चलाया गया जिसमें अनेक महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया एवं मटका विधि को समझने की जिज्ञासा को अपने जीवन में उतारने का निर्णय लिया। स्व सहायता समूह द्वारा स्वच्छ अभियान चलाया गया ।