क्षत्रिय समाज ने हरदुआगंज में महाराणा प्रताप की मनाई 479 वी जयंती
News Editor
अलीगढ़ देहात क्षेत्र के नव युवक क्षत्रिय संगठन हरदुआगंज ने हनुमान गढ़ी रोड गेस्ट हाउस में महाराणा प्रताप जयंती मनाई गई इस सभा के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह चौहान व राजा भाई चौहान बरोठा व संचालन सुभाष चौहान ने किया महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक और एक वीर योद्धा थे जिन्होंने कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नही की उनका जन्म सिसोदिया कुल में हुआ था महाराणा प्रताप जीवनपर्यन्त मुगलों से लड़ते रहे और कभी हार नही मानी। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम रानी जीवंत कंवर (जयवंता बाई) था महाराणा प्रताप अपने पच्चीस भाइयो में सबसे बड़े थे इसलिए उनको मेवाड़ का उत्तराधिकारी बनाया गया। वो सिसोदिया राजवंश के 54वें शासक कहलाते हैं
1572 में प्रताप सिंह मेवाड़ के महाराणा बन गये थे लेकिन वो पिछले पांच सालों से चित्तौड़गढ़ कभी नहीं गये थे। उनका जन्म स्थान और चित्तौड़गढ़ का किला महाराणा प्रताप को पुकार रहा था। महाराणा प्रताप को अपने पिता के चित्तौड़गढ़ को पुन: देख बिना मौत हो जाने का बहुत अफ़सोस था अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर तो कब्जा कर लिया था लेकिन मेवाड़ का राज अभी भी उससे दूर था। अकबर ने कई बार अपने हिंदुस्तान के जहापनाह बनने की चाह में कई दूतों को महाराणा प्रताप से संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए भेजा लेकिन हर बार राणा प्रताप ने शांति संधि करने की बात कही लेकिन मेवाड़ की प्रभुता उनके पास ही रहेगी। 1573 में संधि प्रस्तावों को ठुकराने के बाद अकबर ने मेवाड़ का बाहरी राज्यों से सम्पर्क तोड़ दिया और मेवाड़ के सहयोगी दलों को अलग थलग कर दिया जिसमें से कुछ महाराणा प्रताप के मित्र और रिश्तेदार थे अकबर ने चित्तौड़गढ़ के सभी लोगों को प्रताप की सहायता करने से मना कर दिया। उपस्थित नवयुवक क्षत्रिय संगठन अध्यक्ष मनोज चौहान उर्फ बंटी चौहान, महावीर सिंह गागा ,भारत सिंह राजू ठाकुर,धर्मेन्द्र कुमार, मनोज जादौन , संदीप जादौन ,विक्की चौहान, विवेक जादौन ,समयवीर सिंह