अलीगढ़ रक्तदान का अर्थ सिर्फ खुद के दान से नही होता बल्कि रक्तदान से अभिप्राय किसी जरूरतमंद को जीवन के दान से है, साथ ही आप जरूरतमंद व्यक्ति और उसके परिवार वालों को खुशियाँ भी दान में देते हो इससे आपको ऐसी ख़ुशी मिलती है जिसे बयाँ नही किया जा सकता इस
अहसास को व्यक्ति तभी अनुभव कर सकता है जब उसने किसी के लिए रक्तदान किया हो सोचों कि अगर हमारे सामने कोई व्यक्ति अपनी मौत से लड़ रहा होता है और आप उसके जीवन को बचाने में उसकी सहायता करते हो तो सोचो की आपको कैसा अनुभव होगा आप उसी वक्त नींद से जाग जाते हो और आपको जीवन का असली
महत्व समझ में आता है बहुत से ऐसे लोग होते है जो सोचते है कि रक्तदान करने से उनके शरीर को खतरा हो जाता है या फिर उनमे कमजोरी आ जाती है कुछ तो ये सोचते है कि रक्तदान के बाद उनके खुद के खून को बनने में कई साल लग जाते है किन्तु ऐसा कुछ नही होता क्योकि रक्तदान एक सुरक्षित और स्वस्थ परंपरा और जहाँ तक खून के दुबारा बनने की बात है तो उसे शरीर मात्रा 21 दिनों के अंदर दोबारा बना लेता है साथ ही खून के वॉल्यूम को शरीर सिर्फ 24 से 72 घंटो में ही पूरा कर लेता है तो रक्तदान से पहले अपने मन से हर तरह की शंका को जरुर दूर कर लें जोनल इंचार्ज माता कांता मेहन्दू ने जानकारी देते हुये बताया कि निरंकारी मिशन 1986 से हर वर्ष कर रहा है हजारों रक्तदान शिविरों का आयोजन संत निरंकारी
मिशन द्वारा प्रथम रक्तदान शिविर दिल्ली में नवम्बर, 1986 में आयोजित किया गया वर्ष 1987 से इन शिविरों का आयोजन 24 अप्रैल को बाबा गुरबवचन सिंह सहित सैकड़ों अन्य उन महापुरूषों की याद में किया जा रहा है जिन्होंने सत्य, प्रेम ओर मानव एकता के लिये अपने जीवन का बलिदान दिया। मिशन अब तक लगे शिविरों में 7 लाख यूनिट से अधिक रक्तदान कर चुका है। वही निरंकारी मिशन रक्तदान करने वाली विश्व की सबसे बड़ी संस्थाओं में शुमार है संत निरंकारी चेरिटेबिल फाउंडेशन आज रक्तदान अभियान के साथ साथ मानवता के हित में अनेकों अनेकों कार्य यथा सफाई अभियान वृक्षारोपन कार्यक्रम स्वास्थ्य शिविर आदि आयोजित कर मानव की सेवा में अग्रणीय है