सलाहउद्दीन अयूबी की रिपोर्ट
दिल्ली । धारा 498 ए (दहेज़ उत्पीड़न) पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498ए के तहत क्रूरता के अपराध के लिए आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा कि एक घटना, जब तक कि गंभीर न हो, तथा आरोपी का शिकायतकर्ता के जीवन में शामिल होने का कोई स्पष्ट सबूत नहीं हो तो इस प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को फंसाने के लिए पर्याप्त नहीं है ।
अदालत ने कहा कि, शिकायतकर्ता के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप और भागीदारी के किसी भी भौतिक साक्ष्य के अभाव में, उस व्यक्ति को आईपीसी की धारा 498 ए के तहत क्रूरता करने के लिए फंसाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है।”
मौजूदा मामले में पत्नी ने शिकायत में पति की बहन और चचेरे भाइयों को भी आरोपी बनाया है। पति की बहनों और चचेरे भाइयों ने आरोप पत्र को रद्द करने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की।
हालाँकि, इसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था । जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने पति की बहन व चचेरे भाइयों के पक्ष में फैसला सुनाया ।