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बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में द्वि- दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन एवं संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

राहुल नवरत्न की रिपोर्ट

लखनऊ । बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद बैंगलोर, इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉ एंड इकोनॉमिक्स, प्रगति सुदामा समूह एवं बीबीएयू अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित द्वि- दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन हुआ तथा संविधान दिवस के उपलक्ष मे कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत बाबासाहेब की‌ प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह के नेतृत्व में सभी शिक्षकों द्वारा संविधान की प्रस्तावना पढ़कर राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने की शपथ ली गई ।

द्वि- दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस समापन सत्र के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति आचार्य संजय सिंह ने की। मुख्य अतिथि के रूप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० संतीश्री धुलिपुड़ी पंडित मौजूद रहीं। इसके अतिरिक्त मंच पर प्रगति सुदामा समूह के मुख्य प्रबंध निदेशक डॉ० जी० बी० के० राव व गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की प्रो० रणिता नागर उपस्थित रहीं। आयोजन समिति द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। सेमिनार के अन्तर्गत जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में भी चर्चा की गयी क्योंकि विश्वविद्यालय की ओर से दिनाँक 15-26 नवंबर तक जनजातीय समूहों के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। सेमिनार का संचालन डॉ० सूफिया अहमद द्वारा किया गया‌।

कुलपति आचार्य संजय सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि संविधान दिवस बतौर नागरिक हमारे मूल अधिकारों के साथ- साथ मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। क्योंकि संविधान हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक होने की भावना का एहसास कराता है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० संतीश्री धुलिपुड़ी पंडित ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक भारत का सार संविधान से ही उत्पन्न होता है। जिसके माध्यम से हमें स्वतंत्रता, जीवन जीने की भावना, समानता और एक नागरिक द्वारा गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरणा मिलती है।

प्रगति सुदामा समूह के मुख्य प्रबंध निदेशक डॉ० जी० बी० के० राव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समाज के आखिरी व्यक्ति को भी संविधान ने उसके अधिकारों से परिचित कराया है। साथ ही प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि संवैधानिक तौर पर कार्य करके एक बेहतर नागरिक बनने पर ध्यान दें। गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की प्रो० रणिता नागर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत विभिन्नताओं और संस्कृति का देश है। इसीलिए भारत के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, भौगोलिक विविधता और सांस्कृतिक व पारंपरिक विशेषता को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान अपना एक विशेष महत्व रखता है।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य प्रो० एल० सी० मलैया ने किया। कार्यक्रम के दौरान प्रॉक्टर प्रो० संजय कुमार, प्रो० मुरली प्रसाद पंटा, प्रो० के० एल० महावर, प्रो० प्रीति सक्सेना, प्रो० शिल्पी वर्मा, प्रो० एस० विक्टर बाबू, प्रो० शशि कुमार, डॉ० मनोज डढवाल, डॉ० राजश्री, डॉ० प्रणब कुमार आनंद,डॉ० अजय सिंह कुशवाहा, डॉ० सुरेन्द्र मेहर , डॉ० देवेन्द्र कुमार यादव प्रतिभागी एवं विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक तथा विद्यार्थी मौजूद रहे।

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