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बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में हुआ द्वि- दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का उद्घाटन

राहुल नवरतन ब्रजवासी की रिपोर्ट

 

लखनऊ । बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद बैंगलोर, इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉ एंड इकोनॉमिक्स, प्रगति सुदामा समूह एवं बीबीएयू अर्थशास्त्र विभाग की ओर से ‘कानून एवं अर्थशास्त्र’ विषय पर द्वि- दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया आर० वेंकटरमणी मौजूद रहे।

इसके अतिरिक्त मंच पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के सीनियर एडवोकेट के० जी० राघवन, आईआईटी कानपुर से प्रोफेसर मुरली प्रसाद पंटा एवं आयोजन सचिव प्रो० एल० सी० मलैया उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन एवं बाबासाहेब को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई । इसके पश्चात अतिथियों को पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया । सर्वप्रथम प्रो०एल० सी० मलैया ने सभी को कार्यक्रम के उद्देश्यों एवं रुपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य डॉ० सूफिया अहमद द्वारा किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति आचार्य संजय सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि, भारत के आर्थिक विकास की राह तेजी से आगे बढ़ रही है और भारत एक विकसित देश बनने के लिए दशकों से काम कर रहा है। कानून की कई शाखाएँ सीधे तौर पर अर्थशास्त्र से प्रभावित होती हैं जिसमें आर्थिक विचार प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया श्री आर० वेंकटरमणी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, कि कानून के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व असंभव है। कानून के आर्थिक विश्लेषण में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना बहुत जरूरी है। इसीलिए दूरदर्शी लक्ष्यों को तय करके एवं व्यवस्थित ढंग से कार्य करके ही अर्थव्यवस्था को प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

उच्च न्यायालय के सीनियर एडवोकेट के० जी० राघवन ने अपने विचार रखते हुए कहा,कि कानून, सामाजिक तकनीकी के समान है। साथ ही अर्थव्यवस्था देश को‌ चलाने वाले मूलभूत संसाधनों में से एक है। कानून व अर्थव्यवस्था दोनों ही एक – दूसरे के पूरक है और संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रशासन में अपना अहम स्थान रखते है।

आईआईटी कानपुर से प्रोफेसर मुरली प्रसाद पंटा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है क्योंकि इसका सकारात्मक परिणाम उनके शोध , अनुसंधान कार्यों एवं भविष्य में देखने को मिलता है। अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य प्रो० एल० सी० मलैया ने किया।

कार्यक्रम के दौरान प्रो० प्रीति सक्सेना, प्रो० के० एल० महावर, प्रो० एस० विक्टर बाबू, प्रो० शशि कुमार, प्रो० एन० एम० पी० वर्मा, प्रो० सातिक बाघ, डॉ० प्रणब कुमार आनंद, डॉ० सुरेन्द्र मेहर , डॉ० देवेन्द्र कुमार यादव, डॉ० अनीस अहमद, प्रतिभागी एवं विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक तथा विद्यार्थी मौजूद रहे।

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