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रवि पुख्य व सर्वाथ शिध्दि योग मे मनाई जायेगी अहोई अष्टमी आचार्य भरत तिवारी

अन्नू सोनी की रिपोर्ट

 

अलीगढ़ । कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस साल ये व्रत 5 नवंबर को ऱखा जाएगा। आपको बता दें कि यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि माताएं देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं l

श्री भैरव ज्योतिष अनुष्ठान केन्द्र हरिगढ़ रजि०

आचार्य भरत तिवारी ने बताया है कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस साल ये व्रत 5 नवंबर को ऱखा जाएगा। आपको बता दें कि यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि माताएं देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं। ये व्रत बच्चों की तरक्की और दीर्घायु के लिए देवी अहोई या अहोई माता का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है। इस व्रत में मताएं विशेष पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं। अगर आप भी अहोई अष्टमी का व्रत करने जा रही हैं तो इस व्रत के कुछ नियम हैं जिनका पालन आपको अवश्य करना चाहिए चलिए आपको बताते हैं कि वो कौन से नियम हैं ।

अहोई अष्टमी 2023: तिथि और समय

तिथि: 2023 में अहोई अष्टमी रविवार, 5 नवंबर को मनाई जाएगी
अष्टमी तिथि का समय- 05 नवंबर, दोपहर 1:00 बजे से शुरू होकर 06 नवंबर, सुबह 3:18 बजे तक*
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- 05 नवंबर शाम 5:42 बजे से शुरू होकर 05 नवंबर शाम 7:00 बजे तक.
तारों को देखने का समय – शाम 05:58 (5 नवंबर 2023)

अहोई अष्टमी व्रत के नियम

अहोई  अष्टमी व्रत की पूजा हमेशा प्रदोषकाल में की जाती है इसलिए आप  भी अहोई  अष्टमी  की पूजा प्रदोष काल में ही करें ।
पूजा के लिए अहोई देवी मां की आठ कोने वाली तस्वीर ही पूजा स्थल पर रखें।

अहोई अष्टमी की पूजा के दौरान हाथ में 7 प्रकार का अनाज जरूर लें। यह अनाज पूजा के बाद गाय को खिलाना होता है। कहा जाता है कि
7 प्रकार के अनाज के बिना अहोईमाता की पूजा अधूरी रहती है।

पूजा की शुरुआत गणेश भगवान की पूजा के साथ करें। गणेश भगवान का नाम किसी भी पूजा में सबसे पहले लिया जाता है।
इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। ना सिर्फ व्रत रखने वाली महिलाओं को बल्कि इस दिन घर के किसी भी सदस्य को तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। और ना ही मदिरा का सेवन करना चाहिए।

अहोई अष्टमी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत में अहोई माता की पूजा की जाती है। महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए पूरे दिन यह व्रत रखती हैं। महिलाएं रात में चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती को हैं। इस दिन चंद्रमा को जल अर्पित करते समय पीतल के लोटे का इस्तेमाल करें। अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी बहुत शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं और सौभाग्य और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।

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