एस के सिंह की रिपोर्ट
छत्तीसगढ । महात्मा गांधी ने स्वच्छता को ही सेवा कहा था। उनके जयंती अवसर पर रायपुर रेंज आईजी डांगी ने स्वच्छता पर अपने विचारों को साझा करते हुए कहा है कि किसी भी राष्ट्र का विकास उसके नागरिकों के द्वारा किये जाने वाले सृजनात्मक कार्यों पर निर्भर करता है। साथ ही राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भी नागरिक ही अपना सर्वस्व बलिदान देकर उसकी रक्षा करते हैं। जिस भी राष्ट्र के नागरिक यदि स्वस्थ नहीं, शारीरिक रूप से मजबूत नहीं है , मानसिक रूप से सुदृढ़ नहीं है तो उस राष्ट्र की सुरक्षा हमेशा खतरे में रहती है । कहने का तात्पर्य यह है की किसी भी देश के नागरिकों का स्वस्थ होना ही उस देश की रक्षा की गारंटी होती हैं ।
कोई भी व्यक्ति स्वस्थ तभी रह सकता है जब वो स्वच्छता का ध्यान रखेगा । यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है। स्वच्छता का महत्व न सिर्फ व्यक्तिगत विकास के लिए जरूरी है, बल्कि स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण है। यदि हर कोई स्वच्छता का पालन करेगा तो विभिन्न बीमारियों के ईलाज पर होने वाला खर्च राष्ट्र के विकास के अन्य कार्यों पर खर्च किया जा सकता हैं।
स्वच्छता एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आस पास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये साफ – सफाई बेहद जरुरी है, अपने आस पास के क्षेत्रों और पर्यावरण की सफाई सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिये बहुत जरुरी है । स्वच्छता एक ऐसा महत्वपूर्ण अभियान है जो स्वयं, समाज, और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।
स्वस्थ रहने का माध्यम के साथ साथ स्वच्छता सामाजिक रूप से और भविष्य के लिए भी फायदेमंद है। स्वच्छता के माध्यम से समाज में सभ्यता और संगठन की भावना पैदा होती है। पर्यावरण संरक्षण: स्वच्छता से हम पर्यावरण को भी संरक्षित रख सकते हैं। साफ-सुथरा वातावरण हमारे प्राकृतिक संसाधनों को बचाता है और पर्यावरण की सुरक्षा करता है।
स्वच्छता का अर्थ है सफाई से रहने की आदत। सफाई से रहने से जहां शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं स्वच्छता तन और मन दोनों की खुशी के लिए आवश्यक है। स्वच्छता, सभी लोगों को अपनी दिनचर्या में अवश्य ही शामिल करना चाहिए। साफ-सफाई हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह हमारे जीवन की प्राथमिकता भी है। स्वच्छता जरूरी है क्योंकि साफ-सफाई से हम जीवन में आने वाली कई परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।
स्वच्छता के नियमों का पालन करने से हम स्वस्थ, संगठित, और सकारात्मक जीवन जी सकते हैं और सामाजिक स्वच्छता का योगदान भी कर सकते हैं। इससे हम खुद को, अपने परिवार को, और समाज को भी फायदा पहुंचाते हैं।
हम देखते है साफ सफाई रखने वाले लोग कम बीमार पड़ते है, यदि आप अपने घर को साफ और स्व्च्छ रखेंगे तो आपके घर से बीमारिया कोसो दूर रहेगी।
बीमारी से व्यक्ति की कार्य क्षमताएं प्रभावित होती । महंगे ईलाज के करण आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। देखा गया है की कई लोगों की तो पीढ़ियों की कमाई भी ईलाज में कम पड़ जाती हैं। जिस घर में बीमारियां नहीं होती वहाँ पर पैसो की भी बचत होती है ।
कोरोना काल में रोगियों की बढ़ती संख्या एवं अस्पतालों में साफ-सफाई को ध्यान देने की आवश्यकता से यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि जीवन में स्वच्छता की कितनी जरूरत है। जीवन में स्वच्छता से तात्पर्य स्वस्थ होने की अवस्था से भी है। स्वच्छता एक अच्छी आदत है जो हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है।
यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारे लिए शरीर की भी स्वच्छता बहुत जरूरी है, जैसे रोज नहाना, स्वच्छ कपड़े पहनना, दांतों की सफाई करना, नाखून काटना, आदि। इसके लिए हमें प्रतिदिन सुबह जैसे ही हम सोकर उठते हैं, अपने दांतों को साफ करना चाहिए। चेहरा, हाथ पैर धोना चाहिए। साथ ही स्नानादि और दैनिक क्रियाओं को समय पर पूर्ण करना चाहिए।
स्वस्थ रहने और शांति से जीवन जीने का अच्छा गुण है। खुद को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह स्वच्छ और शुद्ध रखने के लिए हम जो कुछ करते हैं, वो सब व्यक्तिगत स्वच्छता के तहत आता है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व और चरित्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।