संजय सोनी की रिपोर्ट
अलीगढ़ । उत्तर प्रदेश के हर जिले में पुलिस प्रशासन से मीडियाकर्मी परेशान हैं। योगी राज के कुछ बड़े अधिकारियों की मनमानी के कारण हर जिले के अफसर खुद को आका समझने लगे हैं और चौथे खंभे के कर्मियों का गला घोंटने के लिए आमादा रहते हैं। अलीगढ़ में दर्जन भर पत्रकारों पर अवैध चौथ वसूली का मुकद्दमा लगा दिया गया। कई जिलों में पत्रकार पुलिस प्रशासन और उत्पीड़न से बचने के लिए पूरे जतन कर रहे हैं। योगी सरकार के चंद विश्वासपात्र अफसर कान में तेले डाले मीडियाकर्मियों के उत्पीड़न को मजे लेकर देख रहे हैं। इन सब घटनाक्रमों से सबसे ज्यादा छवि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की खराब हो रही है।
उक्त बातें जिला पंचायत स्थित पार्क में पत्रकारों की बैठक में दैनिक अलीगढ़ एक्सप्रेस समाचार पत्र के समाचार सम्पादक राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र राघव ने पत्रकारों के खिलाफ थाना गोधा और गभाना में झूठे मुकद्दमों पर निन्दा करते हुये व्यक्त कीं।
जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ धर्मेन्द्र राघव ने कहा कि देश में प्रेस स्वतंत्रता पर लगातार बढ़ते दबाव और अत्याचार के खिलाफ विभिन्न मीडिया संगठनों को एक साथ आना होगा और मिलकर ऐसे पत्रकारों को कानूनी मदद देनी होगी जिनका सरकारी तंत्र के दम पर उत्पीड़न किया जा रहा है। वहीं अलीगढ़ में पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार पत्रकारों पर झूठे मुकद्दमें काले धंधे करने वालों की शह पर अपने स्वार्थपूर्ति हेतु पैसे के लालच में सांठ-गांठ के चलते दर्ज किये जा रहे हैं। पत्रकारों के उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ अनुशासन समिति के प्रदेश चेयरमैन एवं दैनिक अलीगढ़ एक्सप्रेस के प्रधान सम्पादक मुशीर अहमद खां ने कहा कि और इस विषय में क्या किया जा सकता है, पत्रकारों को इस पर विचार करना चाहिए। विभिन्न प्रकार के मीडिया, वेबसाइट्स, अखबार, सोशल मीडिया और टीवी को साथ आना चाहिए और पत्रकारों की सुरक्षा और व्यक्तिगत आजादी पर एक साथ आना कोई कठिन काम नहीं है।
भले ही किसी का राजनीतिक झुकाव किसी भी तरफ हो, फिर भी ऐसा होना चाहिए। संगठन के महामंत्री सत्यवीर सिंह यादव ने कहा कि आज प्रेस पर कई तरह के हमले हो रहे हैं और मीडिया के समाज के लिए खतरे के तौर पर पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूचनाओं के प्रसार को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं।
हाल के दिनों में हमारे साथियों पर तमाम किस्म की एफआईआर दर्ज की जा रही हैं, मीडिया दफ्तरों में ईडी के छापे मारे जा रहे हैं, ये सब पूरे देश में पत्रकारिता के भविष्य के लिए अशुभ संकेत हैं। पत्रकारों ने कहा कि देश इस समय मीडिया स्वतंत्रता पर आक्रामक हमले का सामना कर रहा है और अब यह चरम की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “आने वाले वक्त में हर किस्म के अवैध और गैरकानूनी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल बढ़ने की आशंका है।
उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर न्यायपालिका के लिए यह बड़ा मुद्दा क्यों नहीं है? आखिर खुलेआम न्यायिक व्यवस्था को धूमिल किया जा रहा है। वहीं पत्रकार शाहिद रजा ने कहा कि हममें एकजुटता नहीं है। हमें स मामले में सभी को साथ लेकर चलना होगा तभी एक प्रेशर ग्रुप बनाया जा सकता है। हमें सवाल उठाने का हक है, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिलता है। संवाद की जगह दिनोंदिन खत्म होती जा रही है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार विशाल सक्सैना ने कहा कि पत्रकारिता और पत्रकार दोनों के लिए यह बेहद चिंताजनक समय है। उन्होंन कहा कि जब क्षेत्रीय मीडिया और हिंदी के पत्रकारों का उत्पीड़न होता है तो पत्रकार जगत में इतनी एकजुटता नहीं दिखती है।
उन्हें भी ऐसी ही मदद की जरूरत है। बैठक में उपस्थित पत्रकार बंधुओं में पुष्पेन्द्र सिंह,दीपक कुमार कश्यप,अहारोम सिंह,विनीत गुप्ता,रॉकी ऑलोक,सत्यवीर सिंह यादव,अनवर खान, मौ.राशिद,रोहित कुमार,विनीत माथुर,मौ. शैजी,मैनुद्दीन खां सहित अन्य मौजूद थे।