गर्भाशय में गांठ हो सकती है टीबी
संजय सोनी की रिपोर्ट
कासगंज । स्थानीय अशोकनगर निवासी 31 वर्षीया य रीना (काल्पनिक नाम) बताती हैं कि शादी के तीन साल बाद तक गर्भवती न होने से उनकी चिंता बढ़ने लगी।कई जगह डॉक्टर को दिखाकर उपचार करा चुकी थीं। डॉक्टर की सलाह पर जब अल्ट्रासाउंड कराया, तब गर्भाशय में गांठ का पता चला और इलाज के लिए टीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया। टीबी अस्पताल में जाँच के बाद गर्भाशय की टीबी का पता चला, छह माह नियमित उपचार के बाद गांठ खत्म हो गई थी। टीबी से स्वस्थ होने के कुछ माह बाद ही वह गर्भवती हो गयीं। अब उनका बेटा आठ साल का हो गया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अतुल सारस्वत का कहना है कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है। समय से जाँच और उपचार से यह पूरी तरह से ठीक हो सकती है। उन्होंने कहा कि टीबी रोग सिर्फ़ फेफड़ों में होने वाली बीमारी नहीं है, यह बाल और नाख़ून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।इनमें से ही एक गर्भाशय की टीबी भी है, जिसमें टीबी के बैक्टीरिया सीधा गर्भाशय पर हमला करते हैं, जिससे महिलाओं को गर्भ धारण करने में दिक्कतें आती हैं।
उन्होंने बताया कि महिलाओं में गर्भाशय की टीबी होने पर ट्यूब में पानी भर जाता है जो गर्भ धारण नहीं होने देता है। इसके साथ ही गर्भाशय की सबसे अंदरूनी परत कमज़ोर हो जाती है, जिसकी वजह से एम्ब्रीओ (भ्रूण) ठीक तरीके से विकसित नहीं हो पाता। गर्भाशय की टीबी के लक्षणों की पहचान समय पर न होने से महिलाएं बांझपन का शिकार भी हो जाती हैं। इससे घबराएं नहीं, समय पर लक्षणों की पहचान कर टीबी की जाँच करायें ,साथ ही सम्पूर्ण उपचार लें। टीबी के इलाज से गांठ खत्म होने पर बांझपन सही हो जाता है।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक धर्मेंद्र यादव ने बताया कि जिले में गर्भाशय की टीबी के कुल 30 मरीज़ थे, जिसमें 16 ठीक हो चुके हैं 14 मरीजों का उपचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि मरीज़ को उपचार के दौरान सही पोषण के लिए हर माह 500 रूपये सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं।
नेशनल टीबी टास्क फ़ोर्स के वाइस चेयरमैन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का कहना है कि आमतौर पर जिन महिलाओं में अनियमित माहवारी के लक्षण दिखते हैं- जैसे- माहवारी का न होना (एमेनोरिया), अत्यधिक रक्तस्राव (मेनोरेजिया), अनियमित माहवारी (ओलिगोमेनोरिया), योनि स्राव, पेडू में दर्द और बांझपन उन्हें जननांग की टीबी हो सकती है।
टीबी से पीड़ित लगभग 50 से 75 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और कुछ लक्षण जैसे सांसें तेज़ चलना और थकान, गर्भावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के समान होने के कारण इसकी पहचान नहीं हो पाती। इसलिए ऐसे लक्षण नजर आयें तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करें।