संजय सोनी की रिपोर्ट
अलीगढ़/लखनऊ। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश प्राथमिक संवर्ग का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह के नेतृत्व में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह से उनके आवास पर मिला व शिक्षकों की विभिन्न ज्वलंत समस्याओं के संबंध में वार्ता कर ज्ञापन सौंपा।
अलीगढ़ के जिलाध्यक्ष डॉ राजेश चौहान
ने बताया कि वार्ता के दौरान प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने कैशलेश चिकित्सा पर मुख्यमंत्री एवं बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा परिषदीय शिक्षकों को 100 दिन के अंदर लाभ देने के लिए किए गए ट्वीट को याद दिलाते हुए कहा कि आपके ट्वीट से शिक्षकों में भारी उत्साह था लेकिन सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 7 दिसंबर के अपने आदेश में कैशलेश की जगह सशुल्क स्वास्थ्य बीमा शिक्षकों को लेने हेतु आदेश जारी किया है जिससे शिक्षकों में भारी निराशा है।
संगठन मांग कर रहा है कि आप और मुख्यमंत्री महोदय की मंशा के अनुरूप शिक्षकों को भी राज्य कर्मचारियों के तरह कैशलेश चिकित्सा का लाभ लिया जाए। प्रदेश संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह ने बताया कि एनपीएस ऐच्छिक व्यवस्था है लेकिन आदेश जारी करके इसे शिक्षकों को लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है और ना लेने वाले शिक्षकों का वेतन अवरुद्ध करने की कार्यवाही की जा रही है जो उचित नहीं है।
कृपया संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें कि एनपीएस के नाम पर किसी भी शिक्षक का वेतन अवरुद्ध न किया जाए। प्रदेशीय संयुक्त मंत्री शशांक कुमार पाण्डेय ने बेसिक शिक्षा मंत्री को अवगत कराया कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को 1 जनवरी 2004 से हटाने का निर्णय लिया था तथा उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2005 से पुरानी पेंशन व्यवस्था हटाने का निर्णय लिया था ।
लेकिन उसके पूर्व ही बेसिक शिक्षा में विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के लगभग 40 हजार शिक्षक अपना प्रशिक्षण पूर्ण करके विभाग में शिक्षण कार्य कर रहे थे ऐसे सभी शिक्षक पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंर्तगत आने चाहिए थे क्योंकि केंद्र सरकार ने अपने यहां इसी तरह के मामलों में 5 मार्च 2008 एवं उसके बाद के वर्षों में लगातार कई मेमोरेंडम ला करके प्रभावित शिक्षकों एवं कर्मचारियों को पुरानी या नई पेंशन व्यवस्था चुनने का विकल्प दिया था परंतु राज्य सरकार ने अभी तक ऐसा कोई मेमोरेंडम जारी नहीं किया जिससे विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के लगभग 40 हजार शिक्षक पुरानी पेंशन व्यवस्था के अधिकारी होने के बावजूद ये लाभ प्राप्त नहीं कर पाए।
अतः राज्य में भी केंद्र के समान पेंशन मेमोरेंडम जारी किया जाए। इसके अतरिक्त लम्बे समय से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करने, जनपद के अंदर सामान्य व पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करने, आकांक्षी जनपद सहित अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण की प्रक्रिया शुरू करने, 20 लाख का सामूहिक बीमा एवं दुर्घटना पर मृत्यु पर परिवार को 40 लाख का दुर्घटना बीमा प्रदान करने, शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने, छात्र शिक्षक अनुपात 1:30 के साथ प्रत्येक कक्षा में एक शिक्षक की व्यवस्था सुनिश्चित करने, शिक्षकों को प्रतिवर्ष 15 अर्जित अवकाश अनुमन्य होने का आदेश जारी होने
तक 30 आकस्मिक अवकाश प्रदान करने, ग्रीष्म कालीन अवकाश एवं शीतकालीन अवकाश में शिक्षकों से कोई कार्य लेने पर उपार्जित अवकाश प्रदान करने व उसका अंकन मानव संपदा पोर्टल पर कराने, पदोन्नत शिक्षकों को 17140 व 18140 वेतनमान का लाभ देने, विद्यालय में निरीक्षण के दौरान कमी पाए जाने पर अधिकारियों की भी जिम्मेदारी निर्धारित करने, शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु प्राप्त धनराशि का दुरुपयोग होने के कारण प्रशिक्षण ऑनलाइन कराने, विकलांग शिक्षकों का विकलांग भत्ता बहाल किया जाए व जिन शिक्षकों को मिल रहा है उनकी दरों को पुनरीक्षित करने, प्राथमिक शिक्षकों को विधान परिषद में मत देने का अधिकार प्रदान करने की मांग की गई।
प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश कोषाध्यक्ष पवन शंकर दीक्षित, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रताप कटियार व श्रीराम शुक्ला, प्रदेश मंत्री सुरेंद्र प्रसाद पाण्डेय, कामतानाथ, सुनील रावत व प्रदीप तिवारी, प्रदेश मीडिया प्रभारी बृजेश श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्रा मौजूद रहे।